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छत्तीसगढ़ सरकार की मत्स्य नीति के खिलाफ आदिवासी मछुआरों का प्रदर्शन
korba, Tribal fishermen ,Chhattisgarh government

कोरबा ।हसदेव जलाशय में छत्तीसगढ़ सरकार की मत्स्य नीति 2022 के खिलाफ शनिवार को आदिवासी मछुआरा संघ (हसदेव जलाशय) कोरबा के बैनर तले बड़ी संख्या में मछुआरे एकत्र हुए। इस दौरान नाव रैली निकालकर सरकार द्वारा जारी निविदा को रद्द करने और बांगो बांध प्रभावित परिवारों को मत्स्य पालन का अधिकार दिए जाने की मांग की गई।इस आंदोलन में छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भी समर्थन दिया और चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं की गईं तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

1980 में विस्थापित हुए थे 58 गाँव

किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने कहा कि 1980 के दशक में बांगो बांध बनने से 58 आदिवासी बहुल गांव डूब क्षेत्र में समा गए। विस्थापितों को मुआवजा और पुनर्वास के साथ यह आश्वासन भी मिला था कि उन्हें बांध क्षेत्र में मत्स्य पालन का अधिकार दिया जाएगा। शुरुआत में कुछ वर्षों तक विस्थापित परिवार रॉयल्टी आधार पर मछली पालन करते रहे, लेकिन बाद में सरकार ने बांध को ठेके पर देना शुरू कर दिया। इससे स्थानीय विस्थापित अपने ही जलाशय में मजदूर बनकर रह गए।

ठेका प्रथा का विरोध
आदिवासी मछुआरा संघ के फिरतू बिंझवार ने कहा कि 2003 और 2022 की मत्स्य नीति में बड़ी जलाशयों को ठेके पर देने की व्यवस्था को बनाए रखा गया है। मत्स्य महासंघ द्वारा हर दस साल पर निजी ठेकेदारों को बांध सौंपा जाता रहा है। ग्राम केंदई के रामबली और धजाक के अथनस तिर्की ने बताया कि 2015 में दिया गया ठेका जून 2025 में खत्म हुआ है, लेकिन इसके बावजूद फिर से 10 साल की लीज हेतु निविदा जारी कर दी गई है, जिसकी अंतिम तिथि 8 अक्टूबर है। मछुआरों ने ऐलान किया कि वे ठेकेदार के लिए काम नहीं करेंगे और अपनी मांगों को लेकर आंदोलन जारी रखेंगे।

जनसंघर्ष संगठनों का समर्थन
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े रामलाल करियाम और मुनेश्वर पोरते ने मछुआरों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि प्रदेश में जल, जंगल और जमीन से आदिवासियों को लगातार बेदखल किया जा रहा है। इसी तरह छत्तीसगढ़ किसान सभा के दीपक साहू ने भी खनन परियोजनाओं से विस्थापितों की समस्याओं को उठाते हुए हसदेव जलाशय के निजीकरण का विरोध किया।आंदोलन के अंत में नाव रैली निकालकर मछुआरा संघ ने घोषणा की कि 6 अक्टूबर को पोड़ी एसडीएम कार्यालय का घेराव कर ज्ञापन सौंपा जाएगा।

 

MadhyaBharat 4 October 2025

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