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नई दिल्ली । विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे पर संतुलित प्रतिक्रिया दी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि भारत रूस से तेल खरीद बंद करेगा। मंत्रालय के बयान में खंडन और स्वीकार्यता दोनों नहीं है। इस बयान में उपभोक्ता हितों और ऊर्जा विविधीकरण पर ज़ोर दिया गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्रंप के बयान के बाद प्रतिक्रिया जारी की है। इसमें उन्होंने कहा है कि भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है। अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी निरंतर प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियाँ पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं।
उन्होंने कहा कि स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य रहे हैं। इसमें हमारी ऊर्जा स्रोतों का व्यापक आधार और बाज़ार की स्थितियों के अनुरूप विविधीकरण शामिल है। जहाँ तक अमेरिका का संबंध है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है। वर्तमान प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को गहरा करने में रुचि दिखाई है। इस पर चर्चाएँ जारी हैं।
उल्लेखनीय है कि 2022 में यूक्रेन संघर्ष शुरु होने के बाद से भारत रियायती दरों पर रूसी तेल आयात कर रहा है। इसे आधार बनाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले दिनों भारतीय निर्यात पर टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की। भारत हमेशा कहता रहा है कि यूरोप और चीन भी रूस से अपनी ऊर्जा जरूरत का बड़ा आयात कर रहे हैं। इसके अलावा अमेरिका भी कई जरुरतों के लिए स्वयं रूस पर निर्भर है।
इसी बीच रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव का बयान आया है। उनका कहना है कि रूस और भारत रणनीतिक साझेदारी वैश्विक दवाब से प्रभावित नहीं हैं और यह विश्वास की मज़बूत नींव पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हमारी तेल आपूर्ति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक है। हमारे व्यापारिक संबंध बढ़ रहे हैं। वहीं, भारत सरकार सबसे पहले अपने देश के राष्ट्रीय हित को ध्यान में रख रही है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच बातचीत की उन्हें जानकारी नहीं है। भारत सरकार की नीतियाँ भारतीय लोगों के हितों को दर्शाती हैं और वे भारत-रूस संबंधों के विपरीत नहीं हैं।
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