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डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर संतान व परिजनों की सुख समृद्धि की कामना
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अनूपपुर । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में छठ पूजा व्रत में माताओं ने सोमवार को जिले भर के नदी तलाबों में डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर संतान व परिजनों की सुख समृद्धि की कामना का आशीष मांगा। मुख्यालय स्थित मडफ़ा तलाब (समतपुर) व तिपान नदी के तट सहित जिले 21 स्थानों में डूबते सूर्य को अध्र्य देकर संतान व परिजनों की सुख समृद्धि की कामना की।


छठ तलाब घाट में कोयलांचल में डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य
जमुना कॉलरी में छठ महापर्व के अवसर छठ तलाब घाट पर सोमवार की शाम श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा। किसानों व महिलाओं सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार और समाज की सुख-समृद्धि की कामना की। पूरा घाट छठ मइया के गीतों से गूंज उठा और सूर्य आराधना में सबने सहभागिता जताई। इस दौरान कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रामलाल रौतेल ने कहां कि छठ आस्था, समर्पण और स्वच्छता का पर्व है। यहां क्षेत्र के लोग जिस उत्साह से भाग ले रहे हैं वह सराहनीय है।


नगर पालिका पसान के अध्यक्ष राम अवध सिंह ने घाट की व्यवस्थाओं पर संतोष जताते हुए कहा नगर प्रशासन ने स्वच्छता और सौंदर्यीकरण की पूरी व्यवस्था की है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। सुरक्षा, स्वच्छता, प्रकाश व्यवस्था एवं पेयजल की उचित व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। शाम को सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के बाद सभी श्रद्धालु प्रसाद वितरण एवं छठी मइया की पूजा-अर्चना में तत्पर दिखे।


बिजुरी में सूर्य मंदिर स्थित देवी तालाब पर छठ महा पूजन का आयोजन देवी तालाब में पुजारी ने समस्त व्रतियों को डूबते सूर्य को अध्र्य दिलाकर सूर्य की उपासना का महापर्व बड़े हर्षोल्लास व श्रद्धा पूर्वक मनाया। इसके साथ ही भालूमाडा, चचाई, डोला, राजनगर, डूमर कछार में लोक आस्था के महापर्व को लेकर लोगों ने उत्साह से सूर्य की उपासना में डूबते सूर्य को अध्र्य देकर संतान व परिजनों की सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान राज्य आपदा प्रबंधन केन्द्र की टीम के सदस्य के साथ सुरक्षा हेतु पुलिस उपस्थित रहीं। अमरकंटक और राजेन्द्रग्राम में नर्मदा नदी के रामघाट तट में डूबते सूर्य को अध्र्य देकर संतान व परिजनों की सुख समृद्धि की कामना की गई।
छठ सूर्यदेव की बहन षष्ठी को समर्पित सूर्य उपासना का यह पर्व अगली सुबह उगते सूर्य को अध्र्य चढ़ाने के साथ समाप्त होगा। इन दोनों समय शाम और सुबह माताएं घाटों पर कमर तक भरे पानी में खड़ी होकर सूर्य को आह्वान करती है। जिसमें उनकी मनोकामना पूर्ण होने पर वह हमेशा सूर्यदेव की उपासना करती रहेगी। पर्व में व्रतियों द्वारा विशेष प्रसाद ठेकुआ, चावल के लड्डू, गुजिया, मिठाई सहित मौसमी फल बांस की बनी हुई टोकरी (डाला) में डालकर देवकारी में रखा जाता है। पूजा अर्चना करने के बाद शाम को एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल और पूजा का अन्य सामान लेकर डाला को घर का पुरुष अपने हाथो से उठाकर छठ घाट पर ले जाता है। यह अपवित्र न हो इसलिए इसे सिर के ऊपर की तरफ रखते है।


मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएं यह व्रत रखती हैं। छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए तब श्रीकृष्ण द्वारा बताए जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। तब उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला था। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। भैया दूज के कल होकर चतुर्थी को नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अध्र्य तथा चौथा दिन उगते सूर्य को अध्र्य देकर व्रत की समाप्ति के साथ सम्पन्न होता है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। जिसमें वे पानी भी ग्रहण नहीं करते। छठ पर्व कार्तिक मास शुक्ल पक्ष के पष्ठी को मनाया जाने वाला हिन्दू पर्व है, सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है यह उनकी संस्कृति है।


नगर पालिका पसान ने जमुना कॉलरी में छठ तालाब घाट एवं कोतमा कालरी केवाई नदी घाट पर धूमधाम के साथ छठ पर्व को मनाया गया। भक्तों के द्वारा डूबते सूर्य की आराधना करते हुए अर्घ्य दिया गया। पवित्र नगरी अमरकंटक के रामघाट उत्तर तट में महिलाओं ने सूर्यास्त समय डूबते सूर्य भगवान को अर्घ्य दे पूजन अर्चन,आरती कर छठी माता की आराधना की। इस अवसर पर पवित् पावन सलिला मां नर्मदा के घाटों में परिवार के सदस्यों ने लाइट,झालर,पटाखों के मध्य संध्याकाल होते ही सूर्य देव के डूबते अवसर पर निर्जला व्रत रख रही महिलाओं ने अर्घ्य पूजन अर्चन आरती प्रदक्षिणा कर परिवार के संतान , समाज के सुख समृद्धि की कुशलता की कामना मां छठी मैया से विनम्र प्रार्थना के साथ की गई।


कौन हैं छठ माता
शास्त्रों में छठ माता को सूर्यदेव की बहन माना गया है। इस कारण से हर वर्ष छठ पर्व का भगवान सूर्य के साथ छठ माता की पूजा करने का विधान है। छठी माता हमेशा संतान की रक्षा करती हैं इसलिए इन्हें संतान की रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और सुखी जीवन के लिए छठ पर उपवास और पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी को छठ माता माना गया है। छठी माई ब्रह्रा जी मानस पुत्री हैं। एक मान्यता है कि देवी सीता, कुंती और द्रोपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था। इसके कारण से छठ पूजा का विशेष महत्व होता है।

 

MadhyaBharat 27 October 2025

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