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भारत की मेजबानी में शुरू हुआ नौसेनाओं का इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग
new delhi, Indo-Pacific Regional Dialogue , Navies begins
नई दिल्ली ।​ भारतीय नौसेना​ की मेजबानी में मंगलवार से मानेकशॉ सेंटर​ में इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (आईपीआरडी)​ शुरू हुआ है, जो 30 अक्टूबर तक चलेगा।​ राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन (एनएमएफ) के साथ साझेदारी में​ हो रहे इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में भारत और विदेश से 42 वक्ता​ ​एक मंच पर आएंंगे।​ तीन दिनों तक चलने वाले संवाद​ में भविष्य की समुद्री चुनौतियों ​के समाधान ​तलाशे जाएंगे।
 
​नौसेना के मुताबिक इस प्रमुख कार्यक्रम का विषय 'समग्र समुद्री सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देना: क्षेत्रीय क्षमता निर्माण और क्षमता-संवर्द्धन' है। यह कार्यक्रम एकीकृत समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा और विकास के मुद्दों से निपटने के लिए भारत-प्रशांत और रणनीतिक नेताओं, नीति निर्माताओं, राजनयिकों और समुद्री विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा। अपने सातवें संस्करण तक आईपीआरडी का आयोजन भारतीय नौसेना का सर्वोच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बन गया है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समुद्री विस्तार में शांति, सुरक्षा और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत की रणनीतिक पहुंच की प्रमुख अभिव्यक्ति के रूप में कार्य करता है। इसे पहली बार 2019 में 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यक्त किया था।
 
आईपीआरडी के मौजूदा संस्करण में भारत की समुद्री नीति महासागर पर आधारित स्थायी समाधानों पर जोर दिया जाना है। तीन दिनों तक चलने वाले संवाद में छह व्यावसायिक सत्र होंगे, जिसमें विशिष्ट विषयों पर चर्चा की जाएगी। पहले दिन जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा प्रभावों पर चर्चा होगी, जिसमें अफ्रीका, इंडोनेशिया और बांग्लादेश के वैश्विक दृष्टिकोण शामिल होंगे। दूसरे दिन अफ्रीका की एकीकृत समुद्री रणनीति 2050, हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय सहयोग और नीली अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, इंडोनेशिया और नैरोबी के विशेषज्ञों की अंतर्दृष्टि शामिल होगी।
 
नौसेना के कैप्टन विवेक मधवाल ने बताया कि सम्मेलन के तीसरे दिन लचीली समुद्री आपूर्ति शृंखलाओं, प्रशांत द्वीप समूह की भूमिका और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए नवीन दृष्टिकोणों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और वियतनाम के प्रमुख शामिल होंगे। इसी दिन आईओएनएस, आईओआरए, आईओसी और एओआईपी जैसे क्षेत्रीय समूहों के बीच तालमेल पर दूरदर्शी सत्र भी आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस वर्ष के संवाद में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, समुद्री संपर्क, सुरक्षा खतरों के प्रति कानूनी प्रतिक्रिया, बहु-क्षेत्रीय संचालन और दोहरे उपयोग वाली समुद्री प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण उभरते विषयों पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सबसे जरूरी प्राथमिकताओं को संबोधित करना है।
MadhyaBharat 28 October 2025

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