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ढाका। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए साेमवार काे फांसी की सजा सुनाई।
यह फैसला गत वर्ष छात्र आंदोलनों पर हिंसक दमन के मामले के संबध में दिया गया है जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे।
हसीना पर यह मुकदमा उनकी गैर माैजूदगी में चला। वह पिछले साल अगस्त में सत्ताच्युत हाेने के बाद से भारत में रह रही हैं।
मीडिया खबराें के मुताबिक न्यायमूर्ति गोलाम मोर्तुजा मजुमदार ने अदालत में फैसला सुनाते हुए कहा, “आरोपी प्रधानमंत्री ने मानवता के खिलाफ अपराध किए।” इस मामले में आईसीटी ने हसीना सहित 19 अन्य लोगों को दोषी ठहराया, जिनमें पूर्व गृह मंत्री आसादुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी मोहम्मद साकिब भी शामिल हैं।
अदालत ने हसीना के अलावा 15 अन्य को फांसी और चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
यह मुकदमा पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों पर पुलिस और सुरक्षाबलों की कथित हिंसक कार्रवाई से जुड़ा है, जिसमें कम से कम 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। देश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद हसीना पर कई आपराधिक आरोप लगे, जिनमें भ्रष्टाचार और हत्या के प्रयास भी शामिल हैं।
ढाका में फैसला सुनाए जाने के बाद सड़कों पर जश्न का माहौल रहा, जहां प्रदर्शनकारियों ने पटाखे फोड़े और नारे लगाए। पूर्व छात्र नेता नईम चिश्ती के मुताबिक , “यह न्याय की जीत है। हसीना का शासन तानाशाही का प्रतीक था।”
इस बीच हसीना की अवामी लीग पार्टी ने फैसले को “राजनीतिक प्रतिशोध” करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय अपील की चेतावनी दी है। पार्टी समर्थकों ने इसे “गैर कानूनी” बताते हुए विरोध प्रदर्शन की धमकी दी है।
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी मुकदमे की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, जबकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इसे “ऐतिहासिक न्याय” करार दिया। 77 वर्षीय हसीना ने फैसले पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उनके वकीलों ने इस मामले में अपील दायर करने की घोषणा की है।
उधर
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस फैसले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, लेकिन सूत्राें के अनुसार, भारत हसीना को राजनीतिक शरण प्रदान करने पर विचार कर रहा है ।
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