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सुकमा । छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश सीमा पर तीन दिन पहले हुई मुठभेड़ में मारे गए मोस्ट वांटेड नक्सली माड़वी हिड़मा और उसकी पत्नी मदगाम राजे का परिवार की मांग पर हिड़मा के गृहग्राम पूवर्ती में आज गुरूवार काे दाेनाें का एक ही चिता में अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पूवर्ती, जबगट्टा, बटुम, टेकलगुडेम और मीनट्टा गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचे थे। हिड़मा बस्तर में नक्सली संगठन का अंतिम कड़ी था। इसके अंतिम संस्कार के साथ ही बस्तर से नक्सली आतंक का सफाया हाे गया है।
उल्लेखनीय है कि हिड़मा पर डेढ़ करोड़ से अधिक का इनाम था और उसकी पत्नी 50 लाख की इनामी नक्सली थी । करेंगुट्टा ऑपरेशन के बाद फोर्स के बढ़ते दबाव के चलते पत्नी राजे सरेंडर करना चाहती थी। उसे डर था कहीं दोनों मारे न जाएं। बार-बार हिड़मा से हथियार डालने कहती रही, लेकिन हिड़मा नहीं माना और आखिर में दोनों एक साथ मुठभेड़ में मारे गए। नक्सली माड़वी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे के मारे जाने के बाद नक्सल संगठन में हिड़मा और राजे की प्रेम कहानी का किस्सा मिलने लगा है।
हिड़मा की सुरक्षा गार्ड रही एरिया कमेटी मेंबर (एसीएम ) नक्सली सुंदरी ने 2014 में आत्मसमर्पण किया था। उन्होंने कहा कि हमने लंबा समय हिड़मा और उसकी पत्नी के साथ गुजारा है। संगठन में उनकी शादी और लव स्टोरी की चर्चा रहती थी। आत्मसमर्पित नक्सली सुंदरी के अनुसार साथी महिला नक्सली राजे ने पहले हिड़मा के विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। फिर भी 2 साल तक हिड़मा ने हार नहीं मानी, बाद में राजे ने हामी भरी। नक्सल नियमों के सख्त हिड़मा ने स्वयं की नसबंदी करवाई और संगठन में ही शादी कर ली। तब हिड़मा की उम्र महज 25 से 27 साल थी, जबकि राजे 20 से 22 साल की थी। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के नक्सली बाराती बने। हिड़मा जब बहू को लेकर अपने घर सुकमा जिले के पूवर्ती आया था तब बहू लाल जोड़े में नहीं बल्कि काली वर्दी में थी। दोनों के हाथों में हथियार थे। मां को बिना बताए शादी करने पर उसकी मां ने हिड़मा को जमकर फटकार लगाई थी। हालांकि शादी से नाराज मां बाद में राजी हो गई थी।
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