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मुख्यमंत्री के अधीनस्थ जनसंपर्क विभाग में पूर्ण कलमबंदी

भाेपाल। मुख्यमंत्री खुद जिस विभाग के मुखिया हैं उस विभाग के अधिकारियों को शासन के मनमाने आदेश के चलते काम बंद करने पर मजबूर होना पड़ रहा हैं। शासन ने आदेश निकाला है, जिसमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गणेश जायसवाल को जनसंपर्क विभाग में नियुक्ति किया जाता हैं | जबकि यह पद जनसंपर्क विभाग कैडर का हैं या फिर किसी आईएस अधिकारी को नियुक्ति दी जा सकती हैं | शासन के इस मनमाने आदेश का विरोध होना स्वाभाविक भी हैं और जायज भी .... सालों से जनसंपर्क विभाग के अधिकारी अपने प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं, मगर सरकार सुध नहीं ले रही हैं। जनसंपर्क विभाग के अधिकारों के साथ यह दोहरा व्यवहार सालों से चल रहा हैं। मगर अब जनसंपर्क विभाग के अधिकारों का गुस्सा ज्वालामुखी बन कर फुट पड़ा हैं क्यूंकि यह उनके अधिकारों का हनन हैं। 


विरोध आंदोलन चरम पर
मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग में असंतोष और विरोध आंदोलन अपने चरम पर पहुँच गया है। 26 नवंबर 2025 को जारी आदेश, जिसमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गणेश जायसवाल की विभाग में नियुक्ति की गई थी, ने पूरे विभाग में रोष पैदा कर दिया है। इस आदेश के खिलाफ प्रदेशभर के जनसंपर्क अधिकारी और कर्मचारी गुरुवार से पूर्ण कलमबंदी पर चले गए हैं।


विभागीय कार्य पूरी तरह ठप
• मुख्यालय, संभाग और जिलों की सभी शाखाओं में फाइल मूवमेंट, प्रेस नोट, कवरेज और फोटो रिलीज पूरी तरह बंद कर दी गई है।


अधिकारियों का पक्ष
अधिकारियों का कहना है कि कमिश्नर का यह निर्णय विभागीय कार्यप्रवाह, अधिकार व्यवस्था और प्रशासनिक संतुलन को प्रभावित करता है।
• विभागीय परंपरा और कार्यप्रणाली के अनुसार, नियुक्तियाँ और पदस्थापन संतुलन बनाए रखने के लिए होती हैं।
• अचानक लिया गया यह निर्णय न केवल प्रशासनिक ढाँचे को कमजोर करता है, बल्कि कर्मचारियों के अधिकार और मनोबल को भी प्रभावित करता है।
• अधिकारियों का स्पष्ट मत है कि आदेश का तत्काल निरस्तीकरण आवश्यक है, ताकि विभाग की कार्यक्षमता और विश्वास बहाल हो सके।
अधिकारी–कर्मचारी पूरी तरह एकजुट हैं और चेतावनी दे चुके हैं कि यदि सरकार ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो इसका सीधा असर मुख्यमंत्री की पब्लिक इमेज मैनेजमेंट पर पड़ेगा।
 

विभागीय ढाँचे में ‘बाहरी हस्तक्षेप’ का विरोध
जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह विभाग अपनी विशिष्ट कार्यप्रणाली, लेखन-कौशल, मीडिया प्रबंधन, संचार रणनीति और रचनात्मक अभिव्यक्ति पर आधारित है, जिसे वर्षों से प्रशिक्षित जनसंपर्क कैडर के अधिकारियों-कर्मचारियों ने अपनी मेहनत से आगे बढ़ाया है।
उनके अनुसार—
“यह राजस्व अथवा प्रशासनिक प्रवृत्ति वाला विभाग नहीं, बल्कि राज्य सरकार और जनता के बीच संचार सेतु का संवेदनशील और रचनात्मक मंच है। इसमें बाहरी सेवाओं के हस्तक्षेप से कार्य-प्रवाह प्रभावित होता है और विभाग की विशेषज्ञता कमजोर पड़ती है।”

मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की अपेक्षा
अधिकारियों ने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, जो स्वयं जनसंपर्क विभाग के मंत्री भी हैं, को इस मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए आदेश को वापस लेना चाहिए। उनका मत है कि विभाग की संवैधानिक और प्रशासनिक गरिमा बनाए रखने के लिए श्री गणेश जायसवाल की नियुक्ति संबंधी आदेश रद्द करना अत्यावश्यक है।

 

 

 


प्रदेशभर में कार्य ठप होने की संभावना
हड़ताल के चलते समाचार-संकलन, प्रेस नोट, कार्यक्रम कवरेज, सरकारी विज्ञापन, योजनाओं के प्रचार-प्रसार और मीडिया संवाद जैसी गतिविधियाँ प्रभावित हो गई हैं। यदि यह स्थिति लंबी चली तो प्रदेश सरकार के जनसंपर्क संबंधी कार्यों पर व्यापक असर पड़ सकता है।
MadhyaBharat 27 November 2025

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