Since: 23-09-2009
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के खूबसूरत पहाड़ी पर्यटन स्थल मैनपाट में बक्साइट खदानों को लेकर जनाक्रोश फूट पड़ा है। आज रविवार 30 नवंबर को प्रस्तावित पर्यावरणीय जनसुनवाई से पहले ही स्थानीय लोग आक्रोशित होकर मैदान में उतर आए और विरोध दर्ज कराते हुए लगाए गए पंडाल को जमीनदोज़ कर दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि, मां कुदरगढ़ी एलुमिना प्राइवेट लिमिटेड को नई खदानें आवंटित करने से मैनपाट के पर्यावरण पर भारी चोट पड़ेगी। ग्रामीणों के अनुसार, यहां के जंगल और प्राकृतिक संतुलन पहले से ही खदानों के चलते क्षतिग्रस्त हैं और नए उत्खनन से स्थिति और भयावह हो सकती है।
हाथी प्रभावित क्षेत्र, उत्खनन से बढ़ सकती है हिंसक गतिविधि
कंडराजा में 135.22 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन की अनुमति प्रस्तावित है। यह इलाका हाथियों की नियमित आवाजाही वाला क्षेत्र माना जाता है। ग्रामीणों का साफ कहना है कि लगातार मशीनों का शोर, बड़ी खदानें और जंगलों की कटाई से हाथी और अधिक आक्रामक हो सकते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ेगा।
कंपनी पर शराब पिलाकर विरोध दबाने का गंभीर आरोप
जिला पंचायत सदस्य रतनी नाग ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि जनसुनवाई के पहले प्रभावित गांवों में कंपनी के लोगों ने पूरी रात शराब बांटी, ताकि विरोध कमजोर पड़े और ग्रामीण थके हुए या अनुपस्थित रहें। रतनी नाग के मुताबिक, कंपनियों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इसका फायदा स्थानीयों को नहीं बल्कि सिर्फ चुनिंदा लोगों को मिल रहा है।
पहले की खदानों से ही बिगड़ा मैनपाट, नई खदानें विनाश लाएंगी – ग्रामीण
ग्रामीणों ने कहा कि मैनपाट की सुंदरता, हरियाली और पर्यटन का आकर्षण पहले से ही कई खदानों के कारण घट चुका है। बाल्को, सीएमडीसी सहित अन्य निजी कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे उत्खनन से लगातार पेड़ कटे, जलस्तर नीचे गया और सड़कें धूल से पट गईं। उनका आरोप है कि कंपनियां मनमाने ढंग से खनन करती हैं, न रोजगार मिलता है न कोई पारदर्शिता।
जमीन नहीं होगी अधिग्रहित, सिर्फ लीज — लेकिन भरोसा नहीं
अधिकारियों के अनुसार, नए खदान नियमों के तहत किसानों की भूमि अधिग्रहित नहीं होगी, बल्कि उन्हें फसल क्षति का मुआवजा देकर लीज पर लिया जाएगा। मैनपाट क्षेत्र में यह मुआवजा लगभग 80,000 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष तय किया गया है। दावा है कि उत्खनन खत्म होने के बाद जमीनें फिर से खेती लायक बनाकर लौटाई जाएंगी, लेकिन ग्रामीण इन दावों पर भरोसा नहीं जता रहे हैं।
तनाव बढ़ा, भारी पुलिस बल तैनात
जनसुनवाई के दौरान हुए हंगामे को काबू में करने के लिए प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल लगाया है। विवाद के चलते जनसुनवाई निर्धारित समय पर शुरू नहीं हो सकी। पर्यावरण और प्रशासनिक विभाग के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं, वहीं ग्रामीण लगातार खनन परियोजना को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं।
MadhyaBharat
|
All Rights Reserved ©2025 MadhyaBharat News.
Created By:
Medha Innovation & Development |