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मन की बात : प्रधानमंत्री ने लोगों को काशी तमिल संगम के लिए किया आमंत्रित
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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लोगों को दो से 15 दिसंबर तक काशी में आयोजित होने वाले चौथे काशी तमिल संगमम में आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि यह संगमम तमिल भाषा और संस्कृति से जुड़े लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है। उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति को तंजावुर की चोलकालीन कला पर आधारित नटराज की कांस्य प्रतिमा भेंट किए जाने का भी कार्यक्रम के दौरान उल्लेख किया।


प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के 128वें एपिसोड में कहा कि विश्व की सबसे पुरानी भाषा और विश्व के सबसे प्राचीन शहरों में से एक शहर दोनों का संगम हमेशा अद्भुत होता है। इस बार के काशी-तमिल संगमम की थीम तमिल सिखो (तमिल करकलम्) है। उन्होंने कहा, “आप सभी से आग्रह है कि आप काशी-तमिल संगमम का हिस्सा जरूर बनें। इसके साथ ही ऐसे और भी मंचों के बारे में सोचें, जिनसे ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना मजबूत हो। .. तमिल कलाच्चारम उयर्वानद्, तमिल मोलि उयर्वानद्, तमिल इन्दियाविन पेरूमिदम्।”


प्रधानमंत्री ने बौद्ध अवेशेषों को दुनिया के कई देशों में ले जाए जाने को भाव विभोर कर देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि भूटान के लोग भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष भेजे जाने को लेकर भारतवासियों का आभार जता रहे थे। ऐसा ही उत्साह कई अन्य देशों में देखने को मिला। पवित्र अवशेषों को रूस के कलमीकिया, मंगोलिया, वियतनाम और थाइलैंड भी ले जाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के प्रति इस प्रकार का गहरा जुड़ाव देखकर मन भावों से भर उठता है। यह सुनकर बहुत अच्छा लगता है कि कैसे इस तरह की कोई पहल दुनियाभर के लोगों को आपस में जोड़ने का माध्यम बन जाती है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना तेजी से बढ़ रही है और इसे जनता ने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। उन्होंने बताया कि जी-20 शिखर सम्मेलन में विदेशी नेताओं को दिए गए उपहारों में भी भारत की विविध शिल्पकला को प्रमुखता दी गई। विभिन्न राज्यों की पारंपरिक कलाओं से बने उपहारों का उद्देश्य भारतीय कारीगरों की प्रतिभा को वैश्विक पहचान दिलाना था। उन्होंने त्योहारों और आने वाले अवसरों पर खरीदारी करते समय स्वदेशी उत्पाद चुनने का आग्रह दोहराया।


उन्होंने नवंबर माह को बेहद प्रेरणादायक बताते हुए संविधान दिवस, ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने, राम मंदिर में धर्म ध्वजा लगने, कुरुक्षेत्र में पांचजन्य स्मारक, हैदराबाद में दुनिया की सबसे बड़ी लीप इंजन एमआरओ सुविधा के उद्घाटन, आईएनएस माहे के नौसेना में शामिल होने और स्काई रूट के ‘इन्फिनिटी कैंपस’ द्वारा अंतरिक्ष अर्थतंत्र को मिली नई गति जैसी उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भारत ने 35.7 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के साथ नया रिकॉर्ड बनाया है, जो एक दशक पहले की तुलना में 10 करोड़ टन अधिक है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय खेलों के लिए महीना बेहद शानदार रहा। इसकी शुरुआत महिला क्रिकेट टीम के आईसीसी महिला विश्व कप जीतने से हुई, जिसके बाद टोक्यो में हुए डेफ ओलंपिक्स में भारत ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 20 पदक जीते। महिला खिलाड़ियों ने कबड्डी वर्ल्ड कप जीतकर नया इतिहास रचा, जबकि विश्व बॉक्सिंग कप फाइनल्स में भी भारतीय खिलाड़ियों ने 20 पदक हासिल किए। उन्होंने विशेष रूप से महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम की विश्व कप जीत की सराहना की, जिसने बिना एक भी मैच गंवाए खिताब जीता। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह टीम हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। उन्होंने देश में तेजी से बढ़ रही एंड्योरेंस स्पोर्ट्स संस्कृति का भी उल्लेख किया, जिसमें मैराथन, बाइकाथन और आयरनमैन ट्रायथलॉन जैसी प्रतियोगिताओं में युवा बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे आयोजन लोगों में फिटनेस और आत्मविश्वास को मजबूत बना रहे हैं।


कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने पुणे के युवाओं की इसरो द्वारा आयोजित ड्रोन प्रतियोगिता में मिली उपलब्धि का उल्लेख किया, जहां उन्होंने मंगल ग्रह जैसी परिस्थितियों में ड्रोन उड़ाने में सफलता पाई। प्रधानमंत्री ने देश में शहद उत्पादन से जुड़ी प्रगति को भी रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने देश के युवा एवं प्रोफेशनल के प्राकृतिक खेती की ओर तेजी से आकर्षित होने और दक्षिण भारत में इस दिशा में हो रहे प्रयासों को उत्साहजनक बताया।


प्रधानमंत्री ने विश्वभर में गीता के प्रति बढ़ते सम्मान का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र में महाभारत अनुभव केंद्र में 3डी और डिजिटल तकनीक के माध्यम से कथाओं का सजीव अनुभव किया जा सकता है। ब्रह्म सरोवर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अब तक अनेक देशों की भागीदारी हुई, जबकि सऊदी अरब में पहली बार सार्वजनिक मंच पर गीता की प्रस्तुति दी गई। यूरोप के कई देशों में भी विशेष गीता महोत्सव आयोजित किए गए।


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की संस्कृति शांति और करुणा का संदेश देती है। इस संदर्भ में उन्होंने दक्षिणी इज़रायल के मोशाव नेवातिम में ‘जाम साहब’ की स्मृति में प्रतिमा के अनावरण का उल्लेख किया। उन्होंने याद दिलाया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नवानगर के महाराजा दिग्विजय सिंह ने पोलिश यहूदी बच्चों को आश्रय देकर मानवीय उदाहरण प्रस्तुत किया था।

MadhyaBharat 30 November 2025

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