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संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही सियासी ‘ड्रामा’ का नया अध्याय खुल गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बातचीत में विपक्ष को नसीहत दी कि सदन में ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए। उनके इस बयान पर विपक्ष ने पलटवार करते हुए इसे तंज के रूप में इस्तेमाल किया। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “ड्रामा कौन करता है ये आपको भी पता है। ड्रामा का उपयोग इसलिए करना क्योंकि D से डेमोक्रेसी है। हम चाहते हैं कि ईमानदारी से काम हो और कोई मतदाता छूटे नहीं। जिन BLO की जान जा रही है, क्या वह ड्रामा था?
SIR और BLO पर बढ़ता दबाव
अखिलेश यादव की पत्नी और सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि यूपी और बंगाल में SIR प्रक्रिया इतनी जल्दबाजी में क्यों हो रही है। उन्होंने बिहार में हुए SIR एक्सरसाइज का उदाहरण देते हुए बताया कि इसकी जल्दबाजी ने चुनावी नतीजों पर प्रभाव डाला है। डिंपल ने कहा कि वर्तमान में केवल 40% फॉर्म भरे जा सके हैं जबकि लक्ष्य 60% है। BLO पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है, जिससे कई कर्मचारियों की आत्महत्या जैसी घटनाएं हो रही हैं। उनका कहना था कि सरकार और चुनाव आयोग को पूरी तैयारी के साथ प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए और किसी प्रकार का ड्रामा नहीं होना चाहिए।
कांग्रेस सांसद का पलटवार
पीएम के बयान पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी पलटवार किया और कहा, “हम लोग ड्रामा कर रहे हैं? इनसे बड़ा कोई ड्रामेबाज है। भीड़ हमारी सभा में होती है, लेकिन वोट उन्हें मिल जाता है। हमारे प्रस्ताव को ये लोग खारिज कर देते हैं और सदन को चलने नहीं देते। हमारे नेता को इनके बेईमानी वाले टिप्स की जरूरत नहीं।” इस तरह संसद के पहले ही दिन विपक्ष ने सरकार पर सख्त सवाल उठाते हुए SIR प्रक्रिया, BLO सुरक्षा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर जोरदार बहस छेड़ दी।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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