Since: 23-09-2009
संचार साथी ऐप को लेकर मचे राजनीतिक घमासान और जनता की तीखी प्रतिक्रियाओं के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने इस ऐप को सभी मोबाइल फोन्स में अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने का आदेश वापस ले लिया है। पहले आदेश दिया गया था कि हर नए स्मार्टफोन में यह ऐप प्री-इंस्टॉल होना चाहिए और पुराने फोन्स में भी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए उसे जोड़ना अनिवार्य होगा। साइबर सुरक्षा के लिए उठाए गए इस कदम का उद्देश्य था कि आम लोगों तक सुरक्षा सुविधाएं आसानी से पहुंच सकें, लेकिन विवाद बढ़ने पर सरकार ने पुनर्विचार किया।
विपक्ष ने ऐप पर उठाए सवाल
सरकार की मानें तो एक दिन में ही 6 लाख लोगों ने इस ऐप के लिए रजिस्ट्रेशन किया और अभी तक 1.4 करोड़ यूजर्स इसे डाउनलोड कर चुके हैं। रोजाना करीब 2000 फ्रॉड की रिपोर्ट मिलने से स्पष्ट है कि ऐप लोगों की मदद भी कर रहा था। लेकिन विपक्ष ने इस ऐप पर गोपनीयता को लेकर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने संसद में चिंता जताई कि इस ऐप के ज़रिए यूजर की रियल टाइम लोकेशन, सर्च हिस्ट्री और बातचीत तक की निगरानी की जा सकती है। इस बयान के बाद यह मुद्दा और गर्म हो गया और लोगों में भय पैदा हुआ कि कहीं यह ऐप उनकी निजी ज़िंदगी पर नजर रखने का जरिया न बन जाए।
सरकार ने दिया भरोसा
तेज़ी से बढ़ते विवाद को शांत करते हुए टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ कहा कि संचार साथी ऐप किसी भी तरह की जासूसी नहीं कर सकता। उन्होंने लोकसभा में कहा कि यह ऐप जनता की सुरक्षा बढ़ाने और फ्रॉड रोकने के लिए बनाया गया है। सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार लोगों के अधिकार और सुरक्षा को मजबूत करना चाहती है, न कि उनकी निजता में दखल देना। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जनता के सुझावों के आधार पर ऐप में बदलाव और सुधार किए जाएंगे। सरकार की इस स्पष्टता के बाद कुछ हद तक मामला शांत हुआ, लेकिन गोपनीयता को लेकर लोगों की चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं।
Patrakar Vandana singh
|
All Rights Reserved ©2025 MadhyaBharat News.
Created By:
Medha Innovation & Development |