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छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया इन दिनों ज़ोरों पर है। खासकर दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे दुर्गम, नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव आयोग के बीएलओ और कर्मचारी कठिन परिस्थितियों में मतदाताओं तक पहुँच रहे हैं। चुनाव आयोग ने एक्स पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा कि कर्मचारियों को घने जंगलों, उफनती नदियों और ऊँचे पहाड़ों को पार कर घर-घर जाकर गणना प्रपत्र भरने पड़ रहे हैं, ताकि हर मतदाता का नाम सही तरीके से दर्ज हो सके। यह कोशिश सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह दिखाती है कि लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हैं और कर्मचारी उसे निभाने के लिए कितनी मेहनत कर रहे हैं।
चुनौतियों के बीच काम पूरा कर रहे बीएलओ
दंतेवाड़ा, बीजापुर और अबूझमाड़ के कई गांव ऐसे हैं जहां पहुँचना बेहद मुश्किल है। बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा ने बताया कि प्रशासन के नेतृत्व में जारी एसआईआर प्रक्रिया के तहत भैरमगढ़ के कुटरु क्षेत्र में बीएलओ और कर्मचारी नाव से इंद्रावती नदी पार करके जंगलों और पहाड़ियों के रास्ते संवेदनशील गांवों—जर्रामरका, हुर्रेगवाली, पुसलंका, चिन्नाटोकामेटा और छोटेबोदली—तक पहुँचे। ये क्षेत्र ऐसे हैं जहां कदम-कदम पर खतरा और मुश्किलें मौजूद हैं, लेकिन कर्मचारियों ने पूरी निष्ठा से काम करते हुए यहां तक पहुँचकर मतदाताओं के लिए ज़रूरी प्रपत्र भरे। यह सिर्फ सरकारी काम नहीं, बल्कि अपने दायित्व को निभाने का जज़्बा है।
80% एसआईआर कार्य पूरा
अबूझमाड़ के जंगलों में कर्मचारियों ने कई किलोमीटर पैदल चलकर 300 से अधिक मतदाताओं तक गणना पत्रक पहुँचाए और उन्हें भरने में पूरी सहायता भी की। जिले के उप निर्वाचन अधिकारी एनआर गवेल ने बताया कि सुरक्षा जोखिमों के बावजूद बीएलओ और अन्य कर्मचारियों ने अपना काम ईमानदारी से पूरा किया। इस अभियान में सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी सूर्यकांत घरत, सीईओ अभिषेक तंबोली, बीएलओ देवी लाल कंवर और कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल रहे। प्रशासन के अनुसार जिले में करीब 80% एसआईआर का काम पूरा हो चुका है और 4 दिसंबर तक शेष 20% काम पूरा हो जाने की पूरी उम्मीद है। यह प्रयास दिखाता है कि लोकतंत्र की मजबूती में कर्मचारियों की मेहनत कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Patrakar Vandana singh
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