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पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रेसिडेंट नवजोत सिंह सिद्धू को जेल
navjot singh siddhu

रोडरेज के केस में सिद्धू को एक साल की सजा

 रोडरेज के केस में पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रेसिडेंट नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल की सजा सुनाई है। यह मामला 34 साल पुराना है।  दरअसल सिद्धू के हमले में एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। इससे पहले कोर्ट ने 4 साल पहले फैसला दिया था।  जिसमे सिद्धू को  1 हजार रुपए के  जुर्माने पर छोड़ दिया गया था। बताया जा रहा है की सिद्धू आज ही पटियाला जेल  जा सकते हैं। पंजाब पुलिस को इस मामले में कानून का पालन करना होगा।  इस मामले में नवजोत सिद्धू की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने ट्वीट कर कहा की उन्हें कानून का फैसला स्वीकार है।  वह लीगल टीम से आगे के कदम के लिए चर्चा कर सकते हैं। गौतलब है की जिस वक्त सुप्रीम कोर्ट में  सजा सुनाई जा रही थी, सिद्धू महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। सिद्धू ने हाथी पर बैठकर प्रदर्शन किया था। जानकारों की माने तो सिद्धू के पास जेल जाने से बचने का कोई उपाय नहीं है। उन्हें जेल जाना ही होगा। यहां उनकी मुलाकात  दिग्गज अकाली नेता बिक्रम मजीठिया से होगी। मजीठिया भी ड्रग्स केस में जेल में  हैं।

 

क्या था  मामला

साल 1988 में सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला सामने आया था। सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से विवाद हुआ था।  इस  बीच हाथापाई भी हुई। जिसमें सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया।अदालत में सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए 1999 में बरी कर दिया था। जिसपर  पीड़ित पक्ष सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। नवजोत सिद्धू ने हाईकोर्ट से मिली सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।   सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304 IPC से बरी कर दिया। IPC की धारा 323, के मामले में सिद्धू को दोषी ठहराया  गया। इसमें उन्हें जेल की सजा नहीं हुई। सिद्धू को सिर्फ एक हजार रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया था।

MadhyaBharat 19 May 2022

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