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याचिका पर फैसला सुरक्षित ,9 जून को होगा फैसला
ज्ञानवापी , जामा मस्जिद के बाद अब कुतुब मीनार भी चर्चाओं में आ गया है। कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार की याचिका पर दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस निखिल चोपड़ा की बेंच ने हिंदू पक्ष की पूजा के अधिकार वाली याचिका पर फैसला अभी सुरक्षित रखा है। इस मामले में फैसला 9 जून को होगा कोर्ट ने दोनों पक्षों को एक हफ्ते के अंदर ब्रीफ रिपोर्ट जमा करने कहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या अपीलकर्ता को किसी कानूनी अधिकार से वंचित किया गया है। साथ ही यह भी कहा कि अगर वहां देवता पिछले 800 साल से बिना पूजा के मौजूद हैं तो उन्हें ऐसे ही रहने दीजिए। सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने लगातार कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार वाली याचिका का विरोध किया। साकेत कोर्ट में सोमवार को दाखिल किए हलफनामे में भी कहा था कि कुतुब मीनार पूजा का स्थान नहीं है और इसकी मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता। वहीं हिंदू पक्ष की दलील थी कि 27 मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। जैन ने AMASR एक्ट की 1958 की धारा 16 का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित स्मारक जो पूजा स्थल या तीर्थस्थल है, उसका उपयोग उसके चरित्र के इतर किसी और काम के लिए नहीं किया जाएगा। जिसके अवशेष वहां मौजूद हैं। इसलिए वहां मंदिरों को दोबारा बनाए जाए। इसके विपरीत मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ASI ने कुव्व्त उल इस्लाम मस्जिद में नमाज बंद करवा दी है। हिंदू पक्ष के हरिशंकर जैन ने कहा कि परिसर में पूजा की अनुमति मिले और मूर्तियों के संरक्षण के लिए ट्रस्ट बनाई जाए। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 25 के तहत उन्हें पूजा के संवैधानिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है। साथ ही यह भी कहा- अयोध्या फैसले में, यह माना गया है कि एक देवता जीवित रहता है, वह कभी नहीं खोता है। अगर ऐसा है, तो मेरा पूजा करने का अधिकार बच जाता है। तर्क में कहा गया कि देश में ASI के संरक्षण वाली कई धार्मिक इमारते हैं। जहां पूजा होती है। इस मामले में संस्कृति सचिव गोविंद मोहन और ASI अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते साइट का दौरा किया। अधिकारियों ने कहा कि यह दौरा नियमित था। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि कुतुब मीनार में खुदाई पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। एक और बड़ी बात जो ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा ने कही कि कुतुब मीनार को कुतब-उद-दीन ऐबक ने नहीं बनवाया था। उन्होंने इसको लेकर 3 बड़े दावे किए थे। पहला कि कुतुब मीनार नहीं, सन टॉवर है। दूसरा कुतुब मीनार के टॉवर में 25 इंच का टिल्ट है, क्योंकि यहां से सूर्य का अध्ययन किया जाता था। इसीलिए 21 जून को सूर्य आकाश में जगह बदल रहा था तब भी कुतुब मीनार की उस जगह पर आधे घंटे तक छाया नहीं पड़ी। यह विज्ञान है और एक पुरातात्विक साक्ष्य भी। दावा यह भी किया गया की कुतुब मीनार एक स्वतंत्र इमारत है। इसका संबंध करीब की मस्जिद से नहीं है।
MadhyaBharat
24 May 2022
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