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शिवसेना के दो फाड़ होना निश्चित
महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी थमने का नाम नहीं ले रहा है ।अब तक तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। सभी की नजर महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर पर टिकी हुई है। डिप्टी स्पीकर ने शिंदे गुट द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। उधर बागी गुट के 16 विधायकों को नोटिस कर दिया गया है। उनके पास जवाब देने के लिए सोमवार शाम 5 बजे तक का मौका है। इस बीच, मुंबई से लेकर दिल्ली और गुवाहाटी तक बैठकों का दौर जारी है। उद्धव ठाकरे हर तरह का कार्ड खेल रहे हैं, वहीं संजय राउत की बयानबाजी भी जारी है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस भी Wait n watch की पॉलिसी अपनाए हुए हैं। भाजपा भी यही कर रही है, हालांकि अंदरखाने रणनीति पर काम पहले दिन से जारी है। विधायक दीपक केसरकर ने कहा कि उनका संगठन कोई नहीं तोड़ रहा है। हम भी उस संगठन के सदस्य हैं, कल भी रहेंगे। जब उद्धव को हकीकत का पता चलेगा तब वो शायद ये निर्णय लें कि हमने जो किया था। वो लोगों को सही नहीं लग रहा तो हम निर्णय बदलते हैं, वो नेता हैं कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा संजय राउत तो बात कही हम इस बारे में जरूर सोचेंगे। हमारा नाम तो शिवसेना ही है। अगर उन्हें लगता है कि उसमें कुछ नहीं जोड़ना तो हम उसको शिवसेना बोलेंगे। हम उनका आदर करेंगे। केसरकर ने आगे कहा, कोई पार्टी हमारे होटल के आवास का भुगतान नहीं कर रही है। हमारे नेता एकनाथ शिंदे ने हमें बुलाया और हम यहां आए हैं। खर्च खुद देंगे। इसके पीछे भाजपा नहीं है। वहीं शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद संजय राउत ने कहा कि बैठक में 6 प्रस्ताव पास हुए हैं। जिसने शिवसेना के साथ गद्दारी या बेईमानी की है। उनपर कठोर कार्रवाई करने के सर्वाधिकार हमने एक प्रस्ताव के माध्यम से उद्धव ठाकरे को दिए हैं। उन्होंने कहा, बालासाहेब ठाकरे का नाम अगर कोई अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है, तो हमें ये मंजूर नहीं है। उसपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। राउत ने कहा कि जो लोग छोड़कर गए हैं। वे शिवसेना के नाम से वोट मत मांगे। अगर मांगते हैं तो अपने खुद के पिता के नाम पर मांगे। अब शिवसेना दो गुटों में बंटती नजर आ रही है। एकनाथ शिंदे ने अपने गुट का नाम तय कर लिया है, जिसका औपचारिक ऐलान होगा। शिंदे गुट ने अपने नाम 'बाला साहेब ठाकरे: शिवसेना' रखा है।
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