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17 जातियों के आरक्षण का प्रस्ताव यूपी विधानसभा से पास कर केंद्र भेजा जायेगा
हाईकोर्ट से ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का नोटिफिकेशन रद्द कर दिया है। पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाली 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने वाले सरकार के नोटिफिकेशन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। इसके साथ ही प्रदेश की सियासत गरमाने लगी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने सही पैरवी नहीं की इसलिए नोटिफिकेशन रद हो गया। जिसके बाद उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने अब नया रास्ता निकाल लिया है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ संजय सिंह ने बताया कि सरकार मॉनसून सत्र में ही 17 जातियों के आरक्षण का प्रस्ताव यूपी विधानसभा से पास करवाकर केंद्र को भेज देगी। संसद के दोनों सदनों में मंजूरी के बाद इन जातियों को भी यूपी में अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र मिलने लगेंगे। संजय निषाद ने कहा इस मुद्दे पर उनकी सीएम योगी से बात हुई है। सीएम ने समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के साथ मिलकर एक हफ्ते में इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। संजय ने कहा जिन जातियों के आरक्षण का मामला चल रहा है। वह सिर्फ 17 ही हैं न कि 18। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली कांग्रेस, सपा और बसपा की सरकारें केवल समाज को गुमराह करने के लिए इन 17 जातियों (निषाद, केवट, मल्लाह, बिंद, कहार, कश्यप, धीमर, रैंकवार, तुरैहा, बाथम, भर, राजभर, धीमर, प्रजापति, कुम्हार, मांझी और मछुआ) को पिछड़ी जातियों से निकालकर अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल करने को लेकर अधिसूचना जारी करती रहीं। मंत्री निषाद ने यह भी स्पष्ट किया कि इन 17 जातियों को पिछड़ी जातियों से निकालकर अनुसूचित जाति में शामिल नहीं करना है, बल्कि मछुआ समुदाय की 17 उपजातियों को उत्तर प्रदेश में सिर्फ परिभाषित किया जाना है। यूपी में अनुसूचित जाति की सूची में क्रमांक 53 पर मझवार और क्रमांक 66 पर तुरैहा जाति शामिल हैं। यह दोनों मछुआ समुदाय की ही जातियां हैं।
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