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99 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस , हृदयगति रुकने से हुआ निधन
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन हो गया है। उन्होंने नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में साढ़े तीन बजे 99 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का अंतिम संस्कार कल झोतेश्वर में ही साढ़े तीन बजे होगा. आज रात और कल अंतिम दर्शन के लिये देह को रखा जायेगा.शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे. कल आश्रम में ही समाधि दिलवाई जायेगी. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अपना 99वां जन्मदिवस मनाया था. दिग्विजय सिंह उनके दीक्षांत शिष्य हैं. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती आजादी की लड़ाई में भाग लेकर जेल भी गए थे. उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए भी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज की देह को मणिदीप आश्रम से गंगा कुंड स्थल पालकी पर सवार कर भक्तों द्वारा ले जाया जा रहा है। जहां पर सभी भक्तजनों को दर्शन होंगे। भारी संख्या में यहां श्रद्धालु मौजूद हैं। सोमवार को शाम लगभग 4 बजे तक महाराज श्री को समाधि दी जाएगी। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। परमहंसी में कई स्थानों से लोगों का आना शुरू हो गया है। स्वामी स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती लंबे समय से बीमार थे। नरसिंहपुर जिले की झोतेश्वर पीठ के परमहंसी गंगा आश्रम में उन्होंने अंतिम सांस ली। 99 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ। द्वीपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का हृदयगति रुकने से निधन हुआ। 12 सितंबर की शाम 4 बजे उनका समाधि कार्यक्रम होगा।अभी नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव तहसील के परमहंसी गंगा आश्रम में विराजित थे शंकराचार्य। स्वामीजी ने 9 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़ दिया था। 2 सितंबर 1924 को उनका जन्म हुआ था। 1980 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली थी। धर्म के साथ राजनीतिक मुद्दों पर भी वे बेबाकी से अपना बयान समाज के सामने रखते थे। सिवनी जिले के दिघोरा गांव में जन्मे शंकराचार्य का नाम पोथीराम उपाध्याय रखा गया था। स्वामी करपात्री महाराज से उन्होंने शिक्षादीक्षा ली। 1942 के स्वतंत्रता संग्राम में भी वे सक्रिय रहे ।
द्वीपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी की हालत बेहद नाज़ुक होने पर चिकित्सकों की टीम उनकी जांच कर थी।
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