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ओवैसी , सपा नेता , लालू यादव सहित कई नेताओं ने ली आपत्ति
पीएफआई को प्रतिबंधित करने के बाद अब कई राजनैतिक पार्टियां इसके विरोध में आ गई हैं। पीएफआई पर बैन का आदेश जारी करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक और अधिसूचना जारी की है। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह अधिकार दिया गया है कि वे पीएफआई और इससे जुड़े लोगों के खिलाफ यूएपीए कानून के तहत कार्रवाई कर सके।केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को देशभर में प्रतिबंधित कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आदेश जारी कर PFI को आतंकी संगठन घोषित कर दिया। PFI के साथ ही इससे जुड़े 8 संगठनों पर भी 5 साल का बैन लगाया गया है। अब पीएफआई के बैन के बाद राजनीती शुरू हो गई है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने इस फैसले पर विरोध जताया है। ओवैसी ने कहा है कि केंद्र के इस कदम का समर्थन नहीं कर सकते। कुछ लोगों की गलती की सजा पूरे संगठन को नहीं दी जा सकती है। यह देश के लिए खतरनाक है। बिहार के पूर्व सीएम और चारा घोटले के आरोपी लालू यादव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। पीएफआई की राजनीतिक ब्रांच ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया। विरोध करने वालों में कांग्रेस और सपा नेता भी शामिल हैं। केरल से सांसद कोडिकुन्निल सुरेश ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर केंद्र के पांच साल के प्रतिबंध की आलोचना की। उन्होंने हिंदू संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की। मध्य प्रदेश से कांग्रेस के बड़े नेता कमलनाथ ने कहा कि यदि कुछ गलत किया है तो कार्रवाई होना चाहिए, लेकिन इसके सबूत भी हो। सबूत पुख्ता हो, बनावटी न हो। वही समाजवादी पार्टी के नेता भी इससे पीछे नहीं दिखे। सपा सांसद डा. शफीकुर्रहमान बर्क ने केंद्र की इस कार्रवाई की आलोचना की और कहा कि यह मुस्लिमों का हितैषी संगठन है, इसलिए कार्रवाई की गई है। वहीं पीएफआई पर बैन के बाद राज्य सरकारें भी एक्शन में आ गई हैं। मध्य प्रदेश के इंदौर और उज्जैन में पुलिस कार्रवाई कर रही है। उज्जैन में पीएफआई का ऑफिस सील कर दिया गया है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी पीएफआई का खेल पूरी तरह खत्म करने की तैयार हो रही है।
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