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सीएम शिवराज की तारीफ की , उज्जैन के महत्व को बताया
उज्जैन महाकाल की नगरी में पीएम मोदी विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के आंगन में बना श्री महाकाल लोक का लोकार्पण किया। पीएम मोदी ने हर हर महादेव के उद्घोष के साथ शुरू संबोधन किया। पीएम मोदी ने अपना संबोधन हर हर महादेव से शुरू किया। उन्होंने कहा कि उज्जैन की यह ऊर्जा, यह उत्साह, अवंतिका की यह आभा, यह अद्भुत यह आनंद, महाकाल की यह महिमा, यह महात्म्य,... शंकर के सान्निध्य में कुछ भी साधारण नहीं है। असाधारण है। यह महसूस कर रहा हूं कि हमारी तपस्या से महाकाल प्रसन्न होते हैं तो ऐसे ही भव्य स्वरूपों का निर्माण होता है। जब महाकाल का आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं। समय की सीमाएं मिट जाती हैं। अंत से अनंत की यात्रा आरंभ हो जाती है। महाकाल लोक की यह भव्यता भी समय की सीमा से परे आने वाली कई पीढ़ियों को आलौकिक दिव्यता के दर्शन कराएगी। भारत की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना को ऊर्जा देगी। मैं इस अद्भुत अवसर पर राजाधिराज महाकाल के चरणों में शत-शत नमन करता हूं। मैं आप सभी को देश-दुनिया में महाकाल के सभी भक्तों को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। विशेष रूप से भाई शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार, उनका मैं ह्दय से अभिनंदन करता हूं। जो लगातार इतने समर्पण से इस सेवा यज्ञ में लगे हुए हैं। साथ ही मैं मंदिर ट्रस्ट से जुडे सभी लोगों, संतों-विद्वानों का आभार प्रकट करता हूं। जिनके प्रयास यह सफल हुआ है। मोदी ने कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन के बारे में हमारे यहां कहा गया है कि प्रलयो न बाधते, तत्र महाकाल पुरी... अर्थात्.. महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। हजारों वर्ष पूर्व जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा तब से यह माना जाता रहा है कि उज्जैन भारत के केंद्र में है। एक तरह से ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है, बल्कि यह भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है। पीएम मोदी ने कहा उज्जैन के क्षण-क्षण में, पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में अध्यात्म समाया हुआ है। कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है। यहां कालचक्र का 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग हैं। यहां चार महावीर हैं। छह विनायक हैं। आठ भैरव हैं। अष्टमातृकाएं हैं। नवग्रह हैं। दस विष्णु हैं। ग्यारह रुद्र हैं। बारह आदित्य हैं। 24 देवियां हैं। 88 तीर्थ हैं।
इन सबके केंद्र में राजाधिराज, कालाधिराज महाकाल विराजमान है। यानी एक तरह से हमारे पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को हमारे ऋषियों ने उज्जैन में प्रत्येक स्वरूप में स्थापित किया है। इसलिए उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञआन और गरिमा का, सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया है। इस नगरी का वास्तु कैसा था, वैभव कैसा था, शिल्प कैसा था, सौंदर्य कैसा था, इसके दर्शन हमें महाकवि कालिदास के मेघदूतम में होते हैं। मोदी ने कहा कि बाणभट्ट जैसे कवियों के काव्यों में आज भी हमें यहां की संस्कृति का चित्रण मिलता है। मध्य काल के लेखकों ने भी यहां के स्थापत्य और वैभव का गुणगान किया है। किसी राष्ट्र का वैभव तभी होता है, जब उसकी सफलता का परचम विश्व पटल पर लहरा रहा होता है और सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए यह जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए और अपनी पहचान के साथ गौरव के साथ सिर उठाकर खड़ा हो जाए।
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत काल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंचप्राण का आह्वान किया है। इस वजह से अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम भारत की सांस्कृतिक आध्यात्मिक राजधानी का केंद्र बन रहा है। चार धाम प्रोजेक्ट के जरिये हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड से जुड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडोर खुला है। हेमकुंड साहिब रोपवे से जुड़ने जा रहा है। स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना से हमारी अध्यात्मिक चेतना के ऐसे कितने ही केंद्रों का गौरव पुनः स्थापित हो रहा है। इसी कड़ी मे महाकाल लोक भी अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज जब हम उत्तर से दक्षिण तक, पूर्व से पश्चिम तक हमारे प्राचीन मंदिरों को देखते हैं तो उनका वास्तु, विशालता हमें आश्चर्य से भर देता है। कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या एलोरा का कैलाश मंदिर... गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर भी है। जहां सूर्य की किरणें सीधे गर्भ गृह में प्रवेश करती है। तंजावुर में ब्रह्मदेवेश्वर मंदिर, कांचीपुरम में वरदराजा मंदिर, बेलुर का चन्नकेशवा मंदिर, मदुरै का मीनाक्षी मंदिर, तेलंगाना का रामपप्पा मंदिर, श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर... यह मंदिर बेजोड़ है। न भूतो न भविष्यती के उदाहरण है। जब हम देखते हैं तो सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि उस युग में, उस दौर में किस तकनीक से यह मंदिर बने होंगे। हमारे प्रश्नों के उत्तर भले ही न मिलते हो, पर इसके अध्यात्मिक संदेश हमें आज भी सुनाई देते हैं। पीएम मोदी बोले कि अतीत में हमने देखा है कि प्रयास हुए कि सत्ता बदले। भारत का शोषण हुआ। उज्जैन की ऊर्जा को भी नष्ट करने के प्रयास हुए। हमारे ऋषियों ने भी कहा कि महाकाल शिव की शरण में मृत्यु भी हमारा क्या कर लेगा। फिर पुनर्जीवित हुआ। फिर उठ खड़ा हुआ। हमने फिर अमरत्व की विश्वव्यापी घोषणा कर दी। भारत ने फिर महाकाल के आशीष पर काल के कपाल पर अस्तित्व का शिलालेख लिख दिया। आज एक बार फिर आजादी के अमृत काल में अमर अवंतिका भारत के सांस्कृतिक अमरत्व की घोषणा कर रही है।
जब पीढ़ियां इस विरासत को देखती है, उसके संदेशों को सुनती है, तब एक सभ्यता के रूप में, हमारी निरंतरता और अमरता का जरिया बन जाता है। महाकाल लोक में यह परंपरा उतने ही प्रभावी ढंग से कला और शिल्प के द्वारा उकेरी गई है। यह पूरा मंदिर प्रांगण शिवपुराण की कथाओं के आधार पर तैयार किया गया है। आप यहां आएंगे, महाकाल के दर्शन केसाथ ही आपको महाकाल की महिमा और महत्व के भी दर्शन होंगे। पंचमुखी शिव, उनके डमरू, सर्प, त्रिशुल, चंद्र और सप्तऋषि भी दिखेंगे। इनके भी भव्य स्वरूप यहां स्थापित है। यह वास्तु, उसमें ज्ञान का समावेश महाकाल लोक को सार्थकता को बढ़ाता है।
पीएम मोदी ने कहा कि शास्त्रों में शिवम् ज्ञानम् ... इसका अर्थ है.. शिव ही ज्ञान है। और ज्ञान ही शिव है। शिव के दर्शन में ब्रह्मांड का सर्वोच्च दर्शन है। यह दर्शन ही शिव का दर्शन है। मैं मानता हूं कि हमारे ज्योतिर्लिंगों का विकास भारत के अध्यात्मिक ज्योति का विकास है। भारत का यह सांस्कृतिक दर्शन.. एक बार फिर शिखर पर चढ़कक शिव का मार्गदर्शन करने को तैयार हो रहा है। मोदी ने कहा कि भगवान महाकाल एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो दक्षिण मुखी है। इसकी भस्मारती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। हर भक्त भस्मारती जरूर करना चाहता है। भस्मारती का धार्मिक महत्व यहां उपस्थित संत गण ज्यादा अच्छे से बता सकेंगे। भारत की जीवटता और जीवंतता का दर्शन भी करता हूं। अपराजेयता को भी देखता हूं। जो शिव स्वयंभूति विभूषणा.. जो शिव खुद को भस्म को धारण करने वाले हैं, वह नश्वर और अविनाशी है। जहां महाकाल है, वहां काल खंडों की सीमाएं नहीं हैं. महाकाल की शरण में विष में भी स्पंदन होता है। उज्जैन जो हजारों वर्ष से भारतीय कालगणना का केंद्र बिंदू रहा है, वह भारत की भव्यता के उद्घोष कर रहा है। यहां महाकाल मंदिर में पूरे देश-दुनिया से लोग आते हैं। सिंहस्थ में लाखों लोग जुड़ते हैं। अनगिनत विविधताएं भी, एक मंत्र, संकल्प लेकर जुड़ सकती हैं, इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है। हम जानते हैं कि हजारों साल से हमारे कुंभ मेले की परंपरा सामूहिक मंथन के बाद जो निकलता है, उसे संकल्प लेकर क्रियान्वित करने की परंपरा रही है। फिर एक बार अमृत मंथन होता था। फिर 12 साल के लिए चल पड़ते हैं। पिछले सिंहस्थ में महाकाल का बुलावा आया तो यह बेटा आए बिना कैसे रह सकता है। कुंभ की हजारों साल की परंपरा, मन-मस्तिष्क में मंथन चल रहा था, मां शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से घिर गया था. उसी विचारों से मन कर गया, कुछ शब्द चल पड़े, पता नहीं कहां से आए, और जो भाव पैदा हुआ वह संकल्प बन गया... यह ही आज साकार हो गया है। उस समय के भाव को चरितार्थ करके दिखाया है, सबके मन में शिवत्व और शिव के लिए समर्पण, शिप्रा के लिए... कितनी प्रेरणा यहां विश्व की भलाई के लिए निकल सकती है... काशी जैसे हमारे केंद्र धर्म के साथ-साथ दर्शन और कला की राजधानी भी रहे। उज्जैन जैसे स्थान एस्ट्रोनॉमी से जुड़े शोधों के शीर्ष केंद्र रहे हैं। आज नया भारत प्राचीन मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है तो आस्था के साथ-साथ विज्ञान की भी नई छवि बना रहा है। आज भारत दुनिया के कई देशों के सैटेलाइट स्थापित कर रहा है। रक्षा के क्षेत्र में पूरी ताकत से आगे बढ़ रहा है। युवा स्टार्टअप बना रहे हैं, नए यूनीकॉर्न के जरिये भारत की प्रतिभा का डंका बजा रहे हैं। हमें भी याद रखना है कि जहांइनोवेशन है वहीं पर रेनोवेशन भी है। हमने गुलामी के कालखंड में जो खोया, आज भारत उसे रेनोवेट कर रहा है। अपने गौरव की, अपने वैभव की पुनस्थापना हो रही है। इसका लाभ सिर्फ भारत के लोगों को नहीं बल्कि विश्वास रखिये साथियों महाकाल के चरणों में बैठे हैं, विश्वास के साथ कहता हूं कि इसका लाभ पूरे विश्व को मिलेगा, पूरी मानवता को मिलेगा। महाकाल के आशीर्वाद से भारत की भव्यता, दिव्यता पूरे विश्व के लिए शांति का मार्ग दिखाएगी।
MadhyaBharat
12 October 2022
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