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प्रधानमंत्री - समूचा विश्‍व सौर ऊर्जा को भविष्‍य के रूप में देख रहा है
प्रधानमंत्री - समूचा विश्‍व सौर ऊर्जा को भविष्‍य के रूप में देख रहा है

 

भारत के लिए सूर्य देव सदियों से उपासना ही नहीं बल्कि जीवन पद्धति के केन्‍द्र रहे हैं

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने वाले सबसे बड़े देशों में शामिल हो गया है। आज सुबह मन की बात कार्यक्रम में राष्‍ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समूचा विश्‍व सौर ऊर्जा को भविष्‍य के रूप में देख रहा है। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत इस क्षेत्र में अपने पारंपरिक अनुभवों को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ रहा है। उन्‍होंने कहा कि सौर ऊर्जा देश के गरीब और मध्‍यम वर्ग के जीवन में बदलाव ला रहा है। मोदी ने कहा कि भारत के लिए सूर्य देव सदियों से उपासना ही नहीं बल्कि जीवन पद्धति के केन्‍द्र रहे हैं। उन्‍होंने तमिलनाडु के थिरू के एझिलन का उदाहरण दिया जो कि एक किसान है। श्री एझिलन ने कुसुम योजना का लाभ लिया और अपने खेत में दस हॉर्सपॉवर का सोलर पंप लगवाया। अब उन्‍हें अपने खेत के लिए बिजली पर कुछ खर्च नहीं करना होता है। खेत में सिंचाई के लिए अब वह सरकार की बिजली सप्‍लाई पर निर्भर भी नहीं है।

प्रधानमंत्री ने पीएम कुसुम योजना के एक अन्‍य लाभार्थी का उदाहरण दिया। राजस्‍थान के कमल जी मीणा ने खेत में सोलर पंप लगाया जिससे उनकी लागत कम हो गई है। कमल जी सोलर बिजली से दूसरे कई छोटे उद्योगों को भी जोड़ रहे हैं। वे करीब दस लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

मोदी ने कहा कि सौर ऊर्जा ने यह दिखा दिया है कि लोगों को बिजली का उपयोग करने पर भुगतान करने की बजाय बिजली उत्‍पादन के लिए भी भुगतान किया जा सकता है। उन्‍होंने देश के पहले सौर ऊर्जा गांव गुजरात के मौढेरा का भी उल्‍लेख किया। उन्‍होंने इस बात पर गर्व व्‍यक्‍त किया कि मौढेरा गांव के ज्‍यादातर घर सोलर पॉवर से बिजली पैदा करने लगे हैं उन्‍होंने कहा कि देश के बहुत से गांव के लोग चिट्ठियां लिख कर कह रहे हैं कि उनके गांव को भी सूर्य ग्राम में बदला जाए। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि वह दिन अब दूर नहीं जब भारत में सूर्य ग्राम का निर्माण एक जन आंदोलन बन जाएगा।

मोदी ने मन की बात के श्रोताओं को मौढेरा के लोगों से परिचित कराया। उन्‍होंने बिपिन्‍न पटेल से बातचीत की जिन्‍होंने कहा कि समूचे गांव की आर्थिक परिस्थिति सुधर रही है। प्रधानमंत्री ने मौढेरा गांव के वर्षा बहन से भी बात की। वर्षा बहन ने इस बात पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की कि गांव में चौबीसों घंटे बिजली आ गई है और बिजली का बिल भी नहीं आ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मौढेरा पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि मौढेरा का अनुभव पूरे देश में दोहराया जा सकता है। सूर्य की शक्ति अब पैसे भी बचाएगी और आय भी बढाएगी। श्री मोदी ने श्रीनगर के मंजूर अहमद लर्हवाल का भी जिक्र किया जिन्‍होंने अपने घर में सोलर रूफ टॉप प्‍लांट लगवाया है, जिसके परिणामस्‍वरूप बिजली का खर्च आधे से भी कम हो गया है। उन्‍होंने ओडिशा की कुन्‍नी देउरी का भी जिक्र किया जो सौर ऊर्जा को अपने साथ-साथ दूसरी महिलाओं के रोजगार का माध्‍यम बना रही है। कुन्‍नी ओडिशा के केन्‍दूझर जिले के करदापाल गांव में रहती है। वे आदिवासी महिलाओं को सोलर से चलने वाली रिलिंग मशीन पर रेशम कताई का प्रशिक्षण देती है। सोलर मशीन के कारण इन आदिवासी महिलाओं पर बिजली बोझ नहीं पडता।

प्रधानमंत्री ने गर्व से कहा कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में भी कमाल कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत की उपलब्ध्यिां देखकर हैरान है। उन्‍होंने कहा कि भारत ने एक साथ 36 सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्‍थापित किए हैं और यह सफलता दिवाली से एक दिन पहले मिली। उन्‍होंने इसे देश के युवाओं के लिए दिवाली का विशेष उपहार बताया। उन्‍होंने कहा कि इस प्रक्षेपण से डिजिटल कनेक्‍टिविटी को और मजबूती मिलेगी तथा दूर-दराज के क्षेत्र भी देश की बाकी हिस्‍सों से जुड जाएंगे। उन्‍होंने उन दिनों को याद किया जब भारत को क्रायोजनिक रॉकेट टेक्‍नोलोजी देने से मना कर दिया गया था। उन्‍होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों ने न सिर्फ स्‍वदेशी टेक्‍नोलोजी विकसित की बल्कि आज इसकी मदद से एक साथ दर्जनो सैटैलाइट अंतरिक्ष में भेजे जा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि इस लांचिग के साथ भारत ग्‍लोबल कर्मिशियल मार्केट में एक मजबूत प्‍लेयर बन कर उभरा है और इससे अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लिए अवसरों के नए द्वार भी खुले हैं। श्री मोदी ने कहा कि पहले स्‍पेस सेक्‍टर सरकारी व्‍यवस्‍थाओं के दायरे में सिमटा हुआ था। उन्‍होंने कहा कि भारत की युवाओं के लिए स्‍पेस सेक्‍टर कॉलेज जाने के बाद से क्रांतिकारी परिवर्तन आने लगे हैं। भारतीय उद्योग और स्‍टार्टअप इस क्षेत्र में नए-नए इनोवेशन और नई-नई टेक्‍नोलोजी लाने में जुटे हैं । प्रधानमंत्री ने कहा कि इन स्‍पेस के सहयोग से इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इन-स्‍पेस के जरिए गैर सरकारी कंपनियों को भी अपने पे-लोड और सैटेलाइट लांच करने की सुविधा मिल रही है। उन्‍होंने अधिक से अधिक स्‍टार्ट-अप और इनोवेटर्स को स्‍पेस सेक्‍टर में भारत में बन रहे इन बडे अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने स्‍टूडेंट पॉवर के बारे में बातचीत की और कहा कि यह भारत को ताकतवर बनाने का आधार है। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि जब भारत शताब्‍दी बनाएगा तो युवाओं की यह शक्ति भारत को उस ऊंचाई तक ले जाएगी जिस पर आज भारत काम कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि भारत के युवा जिस तरह से हैकेथॉस में प्रॉब्‍लम सॉल्‍व कर रहे हैं वह बहुत ही प्रेरणा देने वाला है। उन्‍होंने कहा कि देश के लाखों युवाओं के साथ वर्षों में हुई एक हैकेथॉन ने बहुत सारे चैलेंजिस को निपटाया और देश को नए सोल्‍यूशन दिए हैं।

मोदी ने कहा कि उन्‍होंने लाल किले से जय अनुसंधान का आह्वान किया था और इस दशक को भारत का टेकेड बनाने की भी बात की थी। उन्‍हें इस बात पर खुशी हुई कि इसी महीने 14-15 अक्‍तूबर को सभी 23 आईआईटीस अपने इनोवेशन और रिसर्च प्रोजेक्‍ट्स को प्रदर्शित करने के लिए पहले बार एक मंच पर आए। इस मेले में देशभर के स्‍टूडेंट्स और रिसर्चर्स ने 75 से अधिक बेहतरीन प्रोजेक्‍ट्स को प्रदर्शित किया।  इनकी थीम में हेल्‍‍थकेयर, एग्रीकल्‍चर, रोबोटिक्‍सा, सेमी कंडक्‍टर्स, 5-जी कम्‍यूनिकेशन्‍स शामिल थे।

प्रधानमंत्री ने आई आई टी भुवनेश्‍वर की एक टीम का उदाहरण दिया जिन्‍होंने नवजात शिशुओं के लिए पोर्टेबल वेंटिलेर विकसित किया है। यह बेटरी से चलता है और इसका उपयोग दूर-दराज के क्षेत्रों में आसानी से किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि यह उन बच्‍चों का जीवन बचाने में बहुत मददगार साबित हो सकता है, जिनका जन्‍म तय समय से पहले हो जाता है। मोदी ने यह भी उल्‍लेख किया कि कई आईआईटी मिलकर एक बहुभाषक प्रोजेक्‍ट पर भी काम कर रहे हैं जो स्‍थानीय भाषाओं के सीखने के तरीके को आसान बनाता है। यह प्रोजेक्‍ट नई राष्‍ट्र शिक्षा नीति को अपने लक्ष्‍यों को हासिल करने में बहुत मदद करेगा। आईआईटी मद्रास और आईआईटी कानपुर ने भारत के स्‍वदेशी 5-जी टेस्‍ट बेड तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने उम्‍मीद व्‍यक्‍त की कि आईआईटी से प्रेरणा लेकर दूसरी संस्‍थाएं भी अनुसंधान एवं विकास से जुडी अपनी गतिविधियों में तेजी लाएंगे।

 

MadhyaBharat 30 October 2022

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