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संयुक्त राष्ट्र के 27वें जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले जारी की गई रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि यूरोप का तापमान पिछले तीन दशक में वैश्विक औसत से दुगने से अधिक बढ़ गया है। किसी महाद्वीप में यह सबसे तेज गति से बढ़ा तापमान है। संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन और यूरोपीय संघ के कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा ने एक संयुक्त रिपोर्ट में बताया है कि यूरोपीय क्षेत्र में वर्ष 1991 के बाद से तापमान में प्रत्येक दशक में शून्य दशमलव पांच डिग्री सेल्सियस की बढोतरी हुई है। इसके कारण एल्पाइन गलेशियर में बर्फ की मोटाई में वर्ष 1997 से वर्ष दो हजार 21 के बीच तीस मीटर की कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीनलैंड में बर्फ की चादर तेजी से पिंघल रही है, जिसके कारण समुद्री सतह में बढोतरी हो रही है। यूरोप में बढ़ते तापमान पर यह रिपोर्ट रविवार को मिस्र में शुरू हो रहे संयुक्त राष्ट्र के 27वें जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले जारी की गई है। इस रिपोर्ट में अनेक यूरोपीय देशों ने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में सफलतापूर्वक कमी लाने का भी उल्लेख है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूरी दुनिया में यूरोप पर ग्लोबल वॉर्मिंग का सर्वाधिक असर हुआ है. वर्ल्ड मीटियोरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन दशक में यूरोप दुनिया में अन्य किसी भी हिस्से से सर्वाधिक गर्म हुआ है. यह रफ्तार दोगुने तौर पर है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि महाद्वीप का तापमान तेजी से बढ़ रहा है. इसके कारण भयंकर गर्मी, जंगलों में आग, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ रही है. यह बातें द स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन यूरोप रिपोर्ट का हिस्सा हैं. इसे संयुक्त रूप से यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के साथ मिलकर तैयार किया गया है.जलवायु परिवर्तन पर जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप में ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण भयंकर गर्मी पड़ेगी. इसके कारण ही ब्रिटेन में भीषण लू भी चली थी. ऐसा आगे भी देखने को मिल सकता है. साथ ही अल्पाइन ग्लेयिशयर्स का पिघलना तेज हो सकता है. जलवायु परिवर्तन के कारण भूमध्य सागर का पानी भी गर्म हो रहा है. विशेषज्ञ और सेक्रेटरी जनरल प्रोफेसर पेटरी तलास का कहना है कि दुनिया के गर्म होने के संबंध में यूरोप एक जीती जागती तस्वीर पेश करता है।
MadhyaBharat
5 November 2022
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