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वैश्विक जलवायु संकट से निपटने के प्रयास पर्याप्‍त नहीं है
वैश्विक जलवायु संकट से निपटने के प्रयास पर्याप्‍त नहीं है

 

प्राकृतिक दुष्‍प्रभावों को तत्‍काल समझने की आवश्‍यकता

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्‍द्र यादव ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विश्‍व के उपशमन प्रयासों की गति पर्याप्‍त नहीं है। उन्‍होंने कहा कि दुनिया को सिलसिलेवार प्राकृतिक दुष्‍प्रभावों को तत्‍काल समझने की आवश्‍यकता है, जिनसे विश्‍वभर में भारी क्षति हो रही है। श्री यादव मिस्र के शर्म-अल-शेख में आयोजित कॉप-27 सम्‍मेलन के दौरान संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव उच्‍चस्‍तरीय गोलमेज़ बैठक में सर्व कार्यपालक कार्ययोजना के लिए त्‍वरित सचेतक प्रणाली के शुभारंभ के अवसर पर बोल रहे थे। उन्‍होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्‍प्रभावों से निपटने के लिए वित्‍तीय अभाव के चलते ऐसी सचेतक प्रणालियों को अपनाने की आवश्‍यकता है, जो लोगों की जान और आजीविका को बचाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्‍होंने कहा कि समय रहते सावधान करने वाली प्रणालियां न केवल आपदाओं के भौतिक दुष्‍प्रभावों को सीमित करती हैं, बल्कि दूरगामी सामाजिक, आर्थिक दुष्‍परिणामों की रोकथाम में भी भूमिका निभा सकती हैं। इस क्षेत्र में भारत के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए उन्‍होंने कहा कि भारत ने चक्रवातों के कारण होने वाली मौतों में पिछले 15 वर्ष के दौरान 90 प्रतिशत की कमी आई है और ऐसा समय रहते आपदाओं की चेतावनी संभव होने के कारण हो सका है। उन्‍होंने कहा कि भारत के पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर चक्रवातों की सौ प्रतिशत समय पूर्व सूचना मिल जाती है। उन्‍होंने कहा कि पृथ्‍वी पर कर्क और मकर रेखा के बीच पड़ने वाले क्षेत्र और भारत सहित अधिकांश विकासशील देशों में जलवायु चक्र में हो रहे बदलाव से उपजी आपदाओं की आशंका सर्वाधिक रहती है। यादव ने यह भी कहा कि समूचे क्षेत्र में आपदाओं को झेलने की शक्ति कम है, इसलिए प्राकृतिक प्रकोपों के कारण होने वाला आर्थिक नुकसान बढ़ा है।

MadhyaBharat 8 November 2022

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