Since: 23-09-2009
आने वाले दशक में 20,000 से अधिक छोटे उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने की योजना
भारत का पहला प्राइवेट विक्रम रॉकेट आज पूर्वाह्न सुबह करीब साढ़े 11 बजे श्री हरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसके प्रक्षेपण के लिए सभी प्रबंध पूरे कर लिए गए हैं। मिशन प्रारंभ में तीन पेलोड होंगे -स्पेस किड्ज़ इंडिया, बाज़ूमक अर्मेनिया और एन-स्पेस टेक इंडिया। गति की तीव्रता और दबाव के माप का डेटा हासिल करने के लिए ये एक चरण वाला रॉकेट सेंसर से लैस है। यह मिशन इसरो के इतिहास में एक मील का पत्थर है। एक गैर सरकारी संस्था, स्टार्ट अप स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड ने सिंगल स्टेज विक्रम सबऑर्बिटल रॉकेट विकसित किया था। 550 किलोग्राम वजनी ये रॉकेट 101 किमी की अधिकतम ऊंचाई तक पहुंचेगा। प्रक्षेपण की 300 सेकंड की अवधि के बाद इसके समुद्र में गिरने की उम्मीद है। इन रॉकेटों को न्यूनतम श्रेणी के बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है और इन्हें 24 घंटे के भीतर जोड़कर किसी भी लॉन्च साइट से प्रक्षेपित किया जा सकता है। स्काईरूट अपने रॉकेट लॉन्च करने के लिए इसरो के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाला पहला स्टार्टअप था। स्काई रूट स्टार्टअप आने वाले दशक में 20,000 से अधिक छोटे उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है। विक्रम श्रृंखला का नामकरण भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर किया गया है। इस रॉकेट को इस तरह डिजाइन किया गया था कि अभूतपूर्व बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन संभव हो और ये किफायती भी रहे।
MadhyaBharat
18 November 2022
All Rights Reserved ©2024 MadhyaBharat News.
Created By: Medha Innovation & Development
|