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अयोध्या। पड़ोसी देश नेपाल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जनकपुर से अयोध्या लाई गईं दो देव शिलाओं का अयोध्या के रामसेवकपुरम में गुरुवार को पूरे विधि-विधान से पूज-अर्चन किया गया। इसके बाद इन शिलाओं को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिया गया।
इस अवसर पर ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी, ट्रस्टी महंत दिनेन्द्र दास, डॉ. अनिल मिश्र, कामेश्वर चौपाल, नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री विमलेंद्र निधि, विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज समेत कई प्रमुख लोग मौजूद थे।
नेपाल की काली गंडकी नदी से लाई गई इन दो शिलाओं से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के लिए श्रीरामलला के विग्रह समेत रामदरबार का निर्माण होगा। नेपाल से चली शालिग्राम शिला यात्रा की अगुवाई राम जानकी मंदिर नेपाल के महंत राम पतेश्वर दास, नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री विमलेंद्र निधि, विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज और तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल ने किया। यात्रा के साथ नेपाल से करीब 200 भक्त भी अयोध्या पहुंचे हैं।
इसके पहले, भगवान विष्णु का स्वरूप मानी जाने वाली इन शिलाओं का रामनगरी में भव्य अभिनंदन किया गया। दो बड़े पत्थरों को दो ट्रकों पर लादकर भारत लाया गया है।
अयोध्या आने से पूर्व नेपाल के जनकपुर में अभिषेक और विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद शिलाओं को 26 जनवरी को रामनगरी के लिए रवाना किया गया था। ये यात्रा बिहार के रास्ते उत्तर प्रदेश में कुशीनगर, गोरखपुर, बस्ती होते हुए बुधवार की देर रात अयोध्या पहुंचीं। हाई-वे से जैसे ही बुधवार देर रात शालिग्राम यात्रा ने प्रवेश किया, वहां मौजूद रामभक्तों ने जोरदार स्वागत किया। इस दौरान पूरा इलाका जय श्रीराम के नारे से गूंजायमान हो उठा। लोगों ने पुष्प वर्षा करने के साथ ही जमकर आतिशबाजी की। शालिग्राम शिला पूजन को देखने के लिए हजारों की संख्या में संत-मंहत के साथ रामभक्त उपस्थित रहे।
नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री विमलेन्द्र निधि ने बताया कि नेपाल से अयोध्या आई देवशिला कृष्ण गंडकी नदी की शालिग्राम शिला नहीं है। शालिग्राम शिला मूलतः पूर्ण श्याम वर्ण में होती है और छोटी होती है। इस शिला को धार्मिक दृष्टि से खंडित नहीं किया जा सकता है। श्रीरामलला के विग्रह के लिए जिस प्रकार के शिला की जरूरत थी, उसे गंडकी क्षेत्र में खोजा गया और उसका परीक्षण कराया गया।
उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने उनसे 7 गुणा 5 गुणा 3 फुट की दो शिलाओं की अपेक्षा की थी, यह वही शिला है। जब इस शिला से रामलला के विग्रह का निर्माण कर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्रतिष्ठित किया जाएगा, तब नेपाल के पुरातन संबंध का एक नया अध्याय जुड़ेगा।
शिला यात्रा के साथ आए जनकपुर के मेयर मनोज कुमार शाह ने कहा कि पहले नेपाल से श्रीरामलला के लिए धनुष देने की बात कही गई थी। बाद में शालिग्राम शिला की बात आई। नेपाल सरकार ने ऑर्कियोलॉजिकल टेस्ट कराने के बाद शिला जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास को सौंपी। उसके बाद हम यात्रा लेकर अयोध्या के लिए निकले। उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत सरकार से हमारी मांग है कि जनकपुर-अयोध्या के बीच एक रेल सेवा भी शुरू की जाए, जिससे आवागमन आसान होगा और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
MadhyaBharat
2 February 2023
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