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रायपुर। मुख्यमंत्री गुरुवार को जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर में आयोजित फागुन मड़ई में आए देवी-देवताओं के बिदाई समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री भूपेश ने गीदम में बनने वाले मेडिकल कॉलेज का नामकरण मां दंतेश्वरी के नाम पर करने, गीदम को नए राजस्व अनुभाग का दर्जा देने और शंखनी-डंखनी नदी में पर्यटन के लिए रिवर फ्रंट व्यू पॉइंट का निर्माण करने की घोषणा की।
फागुन मड़ई में आए देवी-देवताओं के बिदाई समारोह में पहली बार शामिल हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यहां ओडीसा, तेलंगाना सहित बस्तर के 851 देवी, देवताओं की बिदाई को अदभुत बताया। उन्होंने कहा कि बस्तर की संस्कृति के कई रंग हैं, बस्तर के दशहरा के समान दंतेवाड़ा की फागुन मड़ई भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। मां दंतेश्वरी के आंगन में होली खेलने के लिए क्षेत्र के सैकड़ों देवी-देवता यहां आते हैं। हमारे यहां की आदिवासी परंपराओं के पीछे जो भाव, दर्शन और कथाएं हैं, उसे जाने-समझे बिना छत्तीसगढ़ की संस्कृति को नहीं पहचाना जा सकता। सरकार ने अपनी गौरवशाली और अनूठी परंपराओं और तीज-त्यौहारों को सहेजने का काम किया है। गांव-गांव में स्थित देवगुड़ियों के संरक्षण का काम भी इसी उद्देश्य से शुरू किया है। आदिवासी परंपराओं को आगे बढ़ाने वाले पुजारी, बैगा, गुनिया, मांझी, हाट पहरिया, बजा मोहरिया को राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना में शामिल करते हुए उनके लिए सात हजार रुपये की वार्षिक सहायता की व्यवस्था की गई है।
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