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भोपाल गैस पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा की मांग याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
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नई दिल्ली/भोपाल। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन और उसकी सहायक फर्मों से अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की की केंद्र सरकार की सुधार याचिका को खारिज कर दिया है। इससे गैस पीड़ितों में मायूसी है। केंद्र सरकार ने 2010 में क्यूरेटिव पिटीशन के जरिए डाउ कैमिकल्स से 7800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की अपील की थी।

 

 

गौरतलब है कि वर्ष 1984 में 02-03 दिसंबर की दरमियानी रात हुई भीषण औद्योगिक त्रासदी में हजारों लोग मारे गए थे और अब भी गैस प्रभावितों की पीढ़ियां इसका दंश भोग रही हैं। गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर (715 करोड़ रुपये) का मुआवजा दिया था। केन्द्र सरकार ने 2010 में उक्त राशि की मांग यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन को खरीदने वाली फर्म डाउ कैमिकल्स से की थी। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में एक लाख से ज्यादा पीड़ितों को ध्यान में रखकर हर्जाना तय किया था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, गैस पीड़ितों की संख्या ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में हर्जाना भी बढ़ना चाहिए। केंद्र की क्यूरेटिव पिटीशन पर 12 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सरकार ने पक्ष रखते हुए कहा था कि पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ सकते।

 

 

सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने कहा कि केस दोबारा खोलने पर पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ेंगी। शीर्ष अदालत ने यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन पर और ज्यादा मुआवजे का बोझ नहीं डाला जा सकता। पीड़ितों को नुकसान की तुलना में करीब छह गुना ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है।

 

 

कोर्ट ने कहा कि 2004 में समाप्त हुई कार्यवाही में यह माना गया था कि मुआवजा राशि काफी है। जिसके मुताबिक दावेदारों को उचित मुआवजे से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है। हम इस बात से निराश हैं कि सरकार ने त्रासदी के दो दशक तक इस पर ध्यान नहीं दिया और अब इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिए गए हलफनामे के मुताबिक गैस कांड पीड़ितों के लिए बीमा पॉलिसी तैयार नहीं करने के लिए भी केंद्र को फटकार लगाई और इसे घोर लापरवाही बताया।

 

 

गौरतलब है कि भोपाल में सन 1969 में यूनियन कार्बाइड कारखाने का निर्माण हुआ, जहां पर मिथाइलआइसोसाइनाइट नामक पदार्थ से कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया आरम्भ हुई। सन 1979 में मिथाइल आइसोसाइनाइट (मिक) के उत्पादन के लिये नया कारखाना खोला गया। इसी बीच 02-03 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड के कारखाने से लगभग मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस का रिसाव हुआ, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों इससे प्रभावित हुए।

MadhyaBharat 14 March 2023

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