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भोपाल। मध्य प्रदेश में मौसम का मिजाज एक बार फिर बदल गया है। बुधवार शाम को राजधानी भोपाल समेत आसपास के इलाकों में तेज हवाओं के साथ तेज बारिश शुरू हो गई। सीहोर में भी जमकर बारिश हुई, जबकि रायसेन जिले में कई जगह बूंदाबांदी होने की जानकारी मिली है। मौसम विभाग के अनुसार, मप्र मंगलवार को बारिश का एक सिस्टम एक्टिव हो गया था, जिसकी वजह से मंगलवार की रात ग्वालियर, छिंदवाड़ा, सागर और सिवनी में भी बारिश हुई। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो 16 मार्च से एक और मजबूत सिस्टम बनेगा। इससे 19 मार्च तक न सिर्फ प्रदेश में जोरदार बारिश होगी, बल्कि तेज आंधी के साथ ओलावृष्टि की भी संभावना रहेगी।
भोपाल मौसम केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार, अलग-अलग स्थानों पर बनी तीन मौसम प्रणालियों के असर से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी आने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसके चलते मध्य प्रदेश के अधिकतर शहरों में बादल छा गए हैं। साथ ही तेज रफ्तार से हवा चलने के साथ कहीं-कहीं वर्षा भी हो रही है।
बुधवार को शाम के समय राजधानी भोपाल में 70 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चली। भोपाल के साथ ही आसपाक के इलाकों में कुछ स्थानों पर 1.2 मिलीमीटर वर्षा भी हुई। भोपाल के अलावा बुधवार शाम को सीहोर में तेज बारिश और रायसेन में हल्ली बूंदाबांदी हुई। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, गुरुवार को पूरे मध्य प्रदेश में गरज-चमक के साथ वर्षा होने की संभावना है। इस दौरान कहीं-कहीं ओले भी गिर सकते हैं। मौसम का इस तरह का मिजाज चार दिन तक बना रह सकता है।
वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि पूर्वी मध्य प्रदेश पर ट्रफ के रूप में बना पश्चिमी विक्षोभ छत्तीसगढ़ की तरफ बढ़ गया है, लेकिन एक नया पश्चिमी विक्षोभ अफगानिस्तान के आसपास हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात के रूप में बन गया है। राजस्थान के मध्य में प्रेरित चक्रवात भी बना हुआ है। इन मौसम प्रणालियों के कारण अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से लगातार नमी आने लगी है। साथ ही मध्य प्रदेश में सतह पर पूर्वी हवा चल रही है, जबकि ऊपरी स्तर पर हवा का रुख पश्चिमी है।
उन्होंने बताया कि विपरीत दिशाओं की हवाओं का आपसी टकराव होने के कारण भी गरज-चमक की स्थिति बन रही है। शुक्ला के मुताबिक नमी के कारण पूरे मध्य प्रदेश में बादल छा गए हैं। गुरुवार को सभी संभागों में गरज-चमक के साथ वर्षा होने के आसार हैं। इस दौरान कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी हो सकती है। बेमौसम वर्षा ने उन किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है, जिनकी फसल कटने के लिए खेतों में खड़ी है।
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