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बीजापुर। नई शांति प्रक्रिया के समन्वयक शुभ्रांशु चौधरी ने शुक्रवार को प्रेस नोट जारी कर बताया कि सिलगेर के बाद आदिवासी अधिकारों की मांग कर रहे जन आंदोलनों को समर्थन करके माओवादियों ने सही दिशा में एक कदम बढ़ाया है। सरकार को भी इसे समझकर उनको भी बातचीत की दिशा में एक और कदम बढ़ाना चाहिए। जिससे दोनों तरफ से ही रही बेकार की हिंसा बंद हो और बस्तर की जनता चैन की सांस ले सके।
उन्होंने कहा कि ख़ासकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार जिन्होंने पिछले चुनाव के पहले अपने घोषणापत्र में यह वादा किया था कि अगर वे जीतेंगे तो इस समस्या के समाधान के लिए बातचीत के गम्भीर प्रयास किए जाएंगे, चुनाव के इस साल में उनको यह याद दिलाने का समय है। कई देशों में बातचीत से माओवादी समस्या का समाधान हुआ है। अब इस अशांति को लेकर ऐसा लगता है कि यहां भी चुप्पी तोड़ने का समय है।
उन्होंने कहा कि दुनिया में जहां नक्सली समस्या रही है उनका समाधान कैसे हुआ। वे यह बता रहे हैं कि बस्तर में 40 से अधिक वर्षों से चल रही नक्सली समस्या का हल निकालने के लिए यह एक अभूतपूर्व समय है। नक्सलवाद के दो सिद्धांत होते हैं पहला लम्बा जनयुद्ध जहां वे सत्ता से संघर्ष कर क्रांति के लिए लड़ाई लड़ते हैं, पर जब लम्बा जन युद्ध कारगर होता नहीं दिखता तो वे संयुक्त मोर्चा की ओर भी झुकते हैं, और समान विचारधारा वाले दलों के साथ संयुक्त मोर्चा बनाकर कुछ कानूनी मांगों के लिए राजनैतिक संघर्ष करते हैं।
उन्होंने कहा कि बस्तर में नक्सली आंदोलन सिर्फ वनवासियों का ही आंदोलन है। जैसा नेपाल में धर्म निरपेक्ष लोकतंत्र के लिए बातचीत हुई वैसे ही यहां आदिवासी अधिकार के लिए बातचीत होनी चाहिए। माओवादियों ने संयुक्त मोर्चा की ओर ध्यान बढ़ाकर इस दिशा में एक कदम बढ़ाया है। इसलिए पिछले कुछ सालों में हिंसा भी कम हुई है। इस प्रगति को सही अंजाम की ओर ले जाने के लिए थोड़ा और प्रयास करने की जरूरत है ऐसा लगता है।
नई शांति प्रक्रिया से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता हरि सिंह सिदार कहते हैं कि अगले दो हफ्तों में यह बैठकें बस्तर के हिंसा प्रभावित जिलों में आयोजित की जाएगी। इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य लोगों को सुनना है। हम स्थानीय लोगों से यह सुनना चाहते हैं कि उनके दुखों को कैसे कम किया जा सकता है, और बाहर के लोग उनकी कैसे मदद कर सकते हैं। इन सब विचारों को इकट्ठा कर हम रायपुर और दिल्ली में सरकारों से साझा करना चाहते हैं।
MadhyaBharat
17 March 2023
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