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बीजापुर। जिले के नक्सल प्रभावित ग्राम मरकमगुड़ा के एक परिवार को नक्सलियों ने फरमान सुनाया है कि अगर गांव में रहना है तो अपने भाई को मार डालो, वरना परिवार के साथ गांव छोड़ दो। ऐसा नहीं किया तो सब मारे जाओगे। धमकी के बाद पूरा परिवार अपनी बूढ़ी मां, पत्नी, दो बच्चों, बहन को लेकर अपना घर, मवेशी, खेत सब कुछ छोड़कर दंतेवाड़ा में भटक रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिले के नक्सल प्रभावित दरभा गांव के तीन युवा पुलिस फोर्स में भर्ती हुए तो नक्सलियों ने पूरे परिवार को गांव से बेदखल कर दिया है। यह तीन परिवार भी अपना सब कुछ छोड़कर दंतेवाड़ा पहुंच गए हैं, यहां अपने रिश्तेदारों के घर रह रहे हैं। इसी तरह रोजाना ग्रामीण नक्सल दहशत से ग्रामीण पलायन कर रहे हैं। नक्सली लगातार स्थानीय ग्रामीण परिवारों को गांव से बेदखली का फरमान सुना रहे हैं।
ग्राम मरकमगुड़ा का मामला अलग है, इसमें परिवार का कोई भी सदस्य पुलिस फोर्स में भर्ती नहीं होने के बावजूद पलायन करना पड़ा है। इसे नक्सलियों की नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। अब नक्सल प्रभावित इलाकों में वही रहेगा जो नक्सलियों का पूरा साथ देगा और उनके अपराध में शामिल होगा। अन्यथा उसे गांव से बेदखल कर दिया जायेगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम मरकमगुड़ा निवासी बामन यादव को नक्सलियों ने तालिबानी फरमान सुनाते हुए कहा कि तुम्हारा भाई रमेश पुलिस की मुखबिरी कर रहा है, गांव में रहना है तो उसे मार डालो। नक्सलियों को इस बात का शक है कि रमेश पुलिस विभाग में शामिल हो गया है। बामन यादव नक्सली धमकी के बाद अपनी पुस्तैनी जमीन, घर सब कुछ छोड़कर भटकने के लिए मजबूर है। गुरुवार को बामन ने बताया कि मेरा भाई पुलिस में नहीं है और न ही वह मुखबिरी करता है। दंतेवाड़ा के पालनार में रहकर वह पढ़ाई कर रहा था। नक्सली उस पर शक जताने लगे और हम सभी को परेशान करने लगे। अपने भाई की हत्या मैं कैसे कर सकता हूं। इसलिए गांव, घर सब कुछ छोड़ परिवार के साथ निकलना पड़ा, अन्यथा नक्सली हम सभी को मार देते।
छोटे भाई रमेश ने कहा कि गांव में 30 एकड़ का खेत, खुद का घर, मवेशी सब कुछ है। पिताजी की 06 साल पहले मौत हो गई। इसके बाद खेती किसानी कर घर का खर्च बड़े भाई चला रहे थे। अब दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं। मैं न तो पुलिस और न ही पुलिस का मुखबिर हूं। फिर भी नक्सली मुझ पर शक जता रहे, मेरा पूरा परिवार परेशान है। मदद के लिए मैं आज दंतेवाड़ा कलेक्टर से भी मिलने गया था। लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। सरकार से आग्रह है कि वे हमारी मदद करें।
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