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रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने पुलिस द्वारा ताड़मेटला में नक्सली मुठभेड़ के नाम पर दो आदिवासी युवकों की हत्या की कड़ी निंदा की है और दोषी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने तथा पीड़ित परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग की है। किसान सभा ने इस पूरे घटनाक्रम पर राज्य सरकार की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए हैं।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य संयोजक संजय पराते ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि सभी तरह की स्वतंत्र जांच-पडतालें कथित मुठभेड़ में मारे गए आदिवासी युवकों के निर्दोष ग्रामीण होने के तथ्य को स्थापित करते हैं। पुलिस अभी तक इस बात का कोई तर्कसंगत जवाब नहीं दे पाई है कि इन युवकों के शवों को परिजनों को सौंपने के बजाय जबरदस्ती जंगल में क्यों जला दिया गया?
किसान सभा नेता ने कहा कि पुलिस के उच्चाधिकारियों द्वारा इस फ़र्ज़ी मुठभेड़ को जायज ठहराए जाने के बाद अब यह स्पष्ट है कि पूरा हत्याकांड राज्य प्रायोजित है। घटना की वास्तविकता जानने के लिए वहां जाने वाले पत्रकारों और नागरिक दलों को रोका जाना इसी तथ्य को प्रमाणित करता है। इस पूरे घटनाक्रम पर राज्य सरकार की चुप्पी भी इसी का संकेत है। किसान सभा ने इस जनसंहार के खिलाफ आदिवासियों और नागरिक संगठनों द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन का समर्थन किया है।
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