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महिला आरक्षण भाजपा का चुनावी हथकंडा : शिशुपाल शोरी
raipur,Women

रायपुर। संसदीय सचिव एवं विधायक कांकेर शिशुपाल शोरी ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि संसद एवं विधानसभा में महिलाओं के लिए सीट आरक्षण कोई नया मुद्दा नहीं है। वर्ष 1996 से लेकर 2014 तक प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी एवं मनमोहन सिंह के द्वारा अपने प्रधानमंत्रीत्व काल में महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने की कोशिश की गई थी। 2010 में महिला आरक्षण विधेयक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सरकार द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया था, जिसे दो तिहाई बहुमत से पारित कर लोकसभा को भेजा गया था जो विभिन्न कारणों से लोकसभा में रखा नहीं जा सका।

वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा जो विधेयक लाया गया है उसमें 02 शर्त रखे गये हैं, पहला यह है कि जनगणना के पश्चात ही महिला आरक्षण विधेयक लागू होगा। दूसरा शर्त यह है कि लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के पश्चात विधेयक लागू होगा। यह दोनों ही शर्तें फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा है। भारत की जनगणना 2021 से लंबित है जो विभिन्न कारणों से अभी तक संभव नहीं हो पाया है एवं 2025 के पूर्व प्रारंभ होने की संभावना भी दिखायी नहीं दे रहा है। यदि 2026 में जनगणना प्रारंभ भी होता है तो उसे पूर्ण होने एवं अधिकृत आकड़ों के प्रकाशन में कम से कम 05 वर्ष का समय लगेगा, तब तक लोकसभा चुनाव 2029 पूर्ण भी हो चुका होगा। ऐसी स्थिति में महिला आरक्षण का लाभ न तो 2014 और ना ही 2029 के लोकसभा निर्वाचन में मिल पायेगा। लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्रों की परिसीमन में भी वक्त लगेगा। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत एवं संसद द्वारा पारित विधेयक ‘‘दूर के ढोल सुहावने’’ कहावत का चरितार्थ करता है।

असल में मोदी सरकार नहीं चाहता कि महिलाओं को उनके अधिकार मिले इसीलिए विधेयक में उक्त शर्तें रखी गई है, जबकि 2010 में कांग्रेस सरकार के द्वारा राज्यसभा में पारित प्रस्ताव में तत्काल आरक्षण की व्यवस्था थी। यह भी उल्लेखनीय है कि नवम्बर 2023 में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, मिजोरम राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, इन राज्यों में भाजपा की स्थिति दयनीय है। इन चुनावों में महिला वोटरों को रिझाने के लिए महिला आरक्षण विधेयक पारित कराये जाने की नोटंकी की जा रही है। विधेयक में अन्य पिछडा वर्ग के महिलाओं के आरक्षण की भी व्यवस्था नहीं है। इससे केंद्र सरकार का पिछड़ा वर्ग विरोधी चेहरा उजागर हो रहा है।

MadhyaBharat 24 September 2023

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