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रायपुर। प्रधानमंत्री मोदी अहसान जता गये कि राज्य, केंद्र के सहयोग पर चल रहा है, जबकि हकीकत है केंद्र, राज्य को देता कम है, राज्य से वसूलता ज्यादा है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ से केन्द्र को विभिन्न मदों से सेन्ट्रल, जीएसटी, इनकम टैक्स, पेट्रोलियम पदार्थो पर सेन्ट्रल एक्साईज, कोल खनन, आयरन ओर बाक्साईट टिन के खनन से तथा रेल भाड़ा से पिछले पांच वर्षो में चार लाख 61 हजार 908.66 करोड़ रुपये वसूला है।
इन पांच वर्षों में राज्य के हिस्से में एक लाख 92 हजार 190.76 करोड़ रुपये मिला। वसूली गयी राशि से दो लाख 69 हजार 717.93 कम मिला। इसमें भी विभिन्न मदों में केन्द्र राज्य के हिस्से का 55 हजार करोड़ रुपये अभी तक नहीं दिया है। कुल राशि राज्य को मात्र एक लाख 37 हजार 190.76 करोड़ ही मिली है। जितना केंद्र से मिला है उससे ज्यादा 1.70 लाख करोड़ तो कांग्रेस सरकार ने अकेले किसानों के ऊपर खर्च किया है।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि विगत पांच वर्षों में केन्द्र से छत्तीसगढ़ को औसतन हर साल मिले मात्र 27 हजार 438 करोड़ और छत्तीसगढ़ से केन्द्र द्वारा वसूली औसत हर साल 92382 करोड़ अर्थात छत्तीसगढ़ से कुल वसूली का 29.7 प्रतिशत ही छत्तीसगढ़ को मिला है। विगत 5 वर्षो में छत्तीसगढ़ से केन्द्र द्वारा कुल वसूली का 70.3 प्रतिशत केन्द्र सरकार के पास है। छत्तीसगढ़ उत्पादक राज्य है, स्टील सीमेंट के उत्पादन में अग्रणी होने के साथ ही कोयला, बॉक्साइट, आयरनओर और टीन के खनन में भी अग्रणी राज्य जीएसटी लागू होने से उत्पादक राज्यों को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति 30 जून 2022 से बंद कर दी गई है, लेकिन केंद्र सरकार जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर 31 मार्च 2026 तक वसूलेगी। अर्थात वसूली मार्च 2026 तक जारी रहेगी लेकिन देनदारी 30 जून 2022 से बंद है।
केंद्र सरकार ने लगभग सभी केंद्रीय योजनाओं में केंद्रांश कम करके उसी अनुपात में राज्यांश बढ़ा दिए गए अर्थात् राज्यों पर आर्थिक बोझ बढ़ा। सेंट्रल एक्साइज में कटौती करके उसी अनुपात में सेस लगाया गया, ताकि उस केंदीय कर की वसूली पर जो 41 परसेंट हिस्सा राज्यों को दिया जाता है, उससे वंचित किया जाए, सेस की राशि में राज्यों का कोई हिस्सा नहीं होता। स्पष्ट है कि केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी का रवैया सहकारी संघवाद और राज्यों के आर्थिक हितों के खिलाफ है।
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