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रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा पीएससी के मामले में प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सत्ता की भूख में रमन सिंह पीएससी जैसी विश्वसनीय संस्था को बदनाम कर रहे हैं। राज्य लोक सेवा जैसी संस्था के नाम पर रमन सिंह और भाजपा स्तरहीन राजनीति कर रहे हैं। पीएससी में गड़बड़ी के कोई भी तथ्य एवं साक्ष्य रमन सिंह के पास नहीं है सिर्फ सरकार को बदनाम करने झूठे आरोप लगा रहे हैं।
सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अमूमन किसी भी परीक्षा में गड़बड़ियों के यह आरोप लगते है। किसी परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक हुये हों। किसी परीक्षार्थी ने लेनदेन की प्रमाणिक शिकायत किया हो। किसी कोचिंग संस्थान के पूर्व अनुमानित प्रश्न पत्रों के सेट से पीएससी के प्रश्न पत्र हू-बहू मिल रहे थे। मेरिट में चयनित अभ्यार्थियों के इन्टरव्यू के नंबर लिखित परीक्षा के अंको में बहुत ज्यादा असमानता नजर आ रही थी। चयन का आधार इंटरव्यू के नंबरों की अधिकता हो।
वर्तमान में राज्य लोक सेवा आयोग के परीक्षा परिणामों पर ऐसा कोई भी आरोप नहीं लगा है उसके बावजूद गड़बड़ी के मनगढ़ंत आरोप लगाना भारतीय जनता पार्टी का निम्न स्तरीय हथकंडा है। किसी मेरिट में चयनित अभ्यार्थियों के लिखित परीक्षा की अपेक्षा व्यक्तित्व परीक्षण के अचंभित करने वाले या संदेहास्पद नंबर मिले हो तो भी उसके आधार पर चयन सूची पर सवाल खड़ा किया जाये तो भी तार्किफ लगता है।
पीएससी के सफल परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिका उनकी अंकतालिका पीएससी की वेबसाइट पर सार्वजनिक है। अभ्यर्थी उसको देख सकता है किसी अभ्यर्थी ने कोई भी गड़बड़ी का आरोप नहीं लगाया है। रमन बताये पीएससी पर ऐसे कौन से आरोप लगे हैं, लेकिन बिना किसी आधार के राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के रिजल्ट में सवाल खड़ा किया जाना भाजपा को मानसिक और राजनैतिक दिवालियेपन को दर्शाता है।
सुशील आनंद ने कहा कि भाजपा के पास पीएससी की चयन सूची में गड़बड़ी के आरोपों का आधार क्या है? सिर्फ यही कि पीएससी में नेताओं, अधिकारियों, व्यवसायियों के बच्चों के कुछ नाम चयनित हो गये है। भाजपा को आपत्ति है कि पीएससी में सगे भाई-बहन, पति-पत्नि का चयन कैसे हो गया? जबकि परस्पर रिश्तेदारों का चयन किसी अधिकारी के रिश्तेदारो का चयन या व्यवसायी नेता के रिश्तेदारों का चयन पहली बार नहीं हुआ है और न ही यह अपराध और न ही किसी का रिश्तेदार होना अयोग्यता का पैमाना हो जाता है। भारतीय जनता पार्टी के समय भी 2004 से 2021 तक भी परस्पर सबंधियों के चयन होते रहे है। हम इसकी सूची सार्वजनिक कर चुके हैं।
रमन सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि पीएससी ने सबूत मिटाने उत्तर पुस्तिकाओं को नष्ट करने निविदा मंगाया है। जबकि राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षा परिणाम के दो साल तक उत्तर पुस्तिका सुरक्षित रखता वर्तमान में भी जो निविदा मंगाया है वह 2020 तक की है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। रमन सिंह बिना तथ्यों के आरोप लगा कर भ्रम फैला रहे हैं।
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