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प्रशासन ने कालोनाइजरों के विरुद्ध FIR दर्ज कराई
अवैध कॉलोनियों को लेकर अक्सर विवाद की स्थिति बनी रहती है। सरकारें भी इस पर कई बार निर्णय लेती हैं। लेकिन उसका असर कम देखने को मिलता है। अवैध कॉलोनियों को लेकर कोर्ट के भी निर्णय आते रहें हैं। इंदौर में अवैध तरीके से कालोनियां बनाने पर मुकदमे, भूखंडों की खरीदी-बिक्री और निर्माण पर रोक लगा दी गई है। महू तहसील के गवली पलासिया गांव में कृषि भूमि पर विकसित हो रही थी राय फार्म्स और पाटीदार फार्म्स कालोनियां। ये लोगों को प्लाट बेचे जा रहे थे । गवली पलासिया गांव में कृषि भूमि पर अवैध तरीके से दो कालोनियां विकसित करने पर प्रशासन ने भूमि स्वामियों और डेवलपर्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। कालोनियों में भूखंडों की खरीदी-बिक्री और निर्माण कार्य पर भी रोक लगा दी गई है। इनमें राया फार्म्स और पाटीदार फार्म्स नाम की कालोनियां शामिल हैं। इन कालोनियों में कालोनाइजर लाइसेंस लिए बिना और नगर तथा ग्राम निवेश से नक्शा पास कराए बिना कालोनी बनाई जा रही थी। कालोनी विकास के लिए भी कोई शासकीय अनुमति नहीं ली गई थी। अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर ने बताया कि गवली पलासिया में राया फार्म्स कालोनी 7.064 हेक्टेयर पर विकसित की जा रही थी। इसमें भू-स्वामी दिनेश, भागवंतीबाई, शांतिबाई, सुनीता, रेखा और हरिओम पाटीदार हैं। यह भूमि स्वामी राया डेवलपर्स के मालिक अनीश कुरैशी के साथ मिलकर कालोनी विकसित कर रहे थे। जांच के दौरान बताया गया कि भूमि स्वामियों और डेवलपर के बीच हुए अनुबंध अनुसार राया डेवलपर्स ने दिनेश पाटीदार से उनकी भूमि क्रय की, लेकिन भूमि पर नामांतरण अपने पक्ष में नहीं कराया। अनीश प्लाट खरीदने के इच्छुक ग्राहकों को लाते थे और बाद में दिनेश भूमि में से छोटे-छोटे रकबे के भूखंड रजिस्ट्री के माध्यम से ग्राहकों को बेच रहे थे। इन व्यक्तियों में से किसी के पास भी कालोनाइजर लाइसेंस, टी एंड सीपी से अनुमोदित कालोनी का अभिन्यास और कालोनी विकास की अनुमति नहीं थी। केवल डायवर्सन के आधार पर राया फार्म्स कालोनी का निर्माण कर प्लाट बेचे जा रहे थे। कॉलोनियों को खरीदी बिक्री पर नियमों की अनदेखी की जा रही है। पाटीदार फार्म्स नाम से भी 4.306 हेक्टेयर भूमि पर कालोनी विकसित की जा रही थी। इसमें भू-स्वामी लीलाधर, हरिनारायण, सतीश पाटीदार सहित अन्य लोग और ब्रोकर प्रवीण स्वामी के साथ कालोनी बना रहे थे। जांच में पाया गया कि यह कार्य डायवर्सन, कालोनाइजर लाइसेंस, नक्शा पास कराए बिना किया जा रहा था। प्रवीण के पास ब्रोकर लाइसेंस भी नहीं था। प्रशासन ने कालोनाइजरों के विरुद्ध मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 61-घ के तहत एफआइआर दर्ज कराई है। यह एफआईआर अलग अलग थानों में दर्ज हुई है। अवैध कॉलोनियों को लेकर प्रशासन सख्त है। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चालते भी कई अवैध कॉलोनियों को बसाया जाता है। शासन को अवैध कॉलोनियों को लेकर पूरे प्रदेश में नजर रखनी होगी।
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