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डबरा News


Amazing coincidence on Rakshabandhan after 90 years

  मध्यप्रदेश : सावन के अंतिम या पांचवे सोमवार पर 19 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग, रवि योग और श्रावण नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन सभी योगों को बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा दुर्लभ संयोग पूरे 90 साल बाद बन रहा है. ज्योतिष पदम् भूषण स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य डॉ पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि वैसे तो सावन का पूरा महीना ही विशेष होता है, लेकिन सावन में पड़ने वाले सोमवार का खास महत्व होता है। खासकर अंतिम सावन सोमवार को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जो लोग किसी कारण सावन में किसी सोमवार का व्रत नहीं रख पाते, वो अंतिम सावन सोमवार का व्रत जरूर रखते है. इस वर्ष सावन की शुरुआत शिवजी के प्रिय वार सोमवार के दिन से हुई है और इसकी समाप्ति भी सोमवार के दिन ही होगी। यानी सावन माह के पहले दिन पहला सावन सोमवार व्रत रखा गया और अंतिम दिन ही आखिरी सावन सोमवार व्रत रखा जाएगा, जोकि 19 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन सावन पूर्णिमा और रक्षाबंधन भी होगा। सावन के अंतिम या पांचवे सोमवार पर 19 अगस्त 2024 को सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग, रवि योग और श्रावण नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन सभी योगों को बहुत ही शुभ माना जाता है। वहीं सावन के आखिरी दिन ही सोमवार पड़ने से इसकी महत्ता काफी बढ़ जाती है। ऐसा दुर्लभ संयोग पूरे 90 साल बाद बन रहा है, जिसका शुभ प्रभाव कई राशियों पर पड़ेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन चार अद्भुत संयोग बन रहे है. वैदिक पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा और रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है।  रक्षासूत्र की डोर भाई बहन के रिश्ते को अटूट बना सकती है। इस बार रक्षाबंधन के दिन ग्रहों का ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है। करीब 90 साल बाद रक्षाबंधन के दिन 4 शुभ महासंयोग बन रहे हैं। ग्रह-नक्षत्रो का यह अद्भुत संयोग भाई बहन के रिश्ते को और मजबूत करेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन चार अद्भुत संयोग बन रहे है। वैदिक पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा और रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन सावन का अंतिम सोमवार भी है। ऐसे में यह दिन बेहद शुभ साबित होगा। रात 8 बजकर 40 मिनट तक रहेगा ये दो योग. 19 अगस्त को सुबह से लेकर रात 8 बजकर 40 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए सभी कार्यों में सिद्धियां प्राप्त होती है। ऐसे में इस समय में रक्षासूत्र बांधा जाए तो भाइयों पर आने वाली सभी बालाएं दूर होंगी और उन्हें आरोग्य होने का का वरदान भी मिलेगा,परंतु भद्रा रहने के कारण राखी नही बांध सकते हैं. पंडित शर्मा ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार 18 अगस्त को रात 2 बजकर 21 मिनट से भद्रा कि शुरूआत हो रही है जो अगले दिन 19 अगस्त को 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। यह भद्रा पाताल लोक का भद्रा होगा। भद्रा काल में रक्षा सूत्र बांधने शुभ नहीं माना जाता है, ऐसे में 19 अगस्त को दोपहर में 1 बजकर 32 मिनट के बाद रक्षासूत्र बांधा जाएगा.  बाला जी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा के अनुसार 19 अगस्त सोमवार को 1.33 दोपहर से शाम 7 बजे तक विशेष मूहर्त 5 घंटे तक रहेगा इसके अलावा 1 बजकर 33 मिनट से लेकर शाम 9 बजकर 25 मिनट तक रक्षासूत्र बांधने का शुभ समय है। इस समय में रक्षासूत्र बांधने से भाइयों को दीर्घायु के आशीर्वाद के साथ ऐश्वर्य और सौभाग्य का वरदान भी मिलेगा. 

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 MadhyaBharat  13 August 2024

MP ministers got charge of the district

मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले सोमवार (12 अगस्त) को जिले के प्रभारी मंत्रियों के नामों का ऐलान किया. मध्य प्रदेश के मंत्रियों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी गई है. प्रदेश के के 32 मंत्रियों लगभग सभी जिलों की जिम्मेदारी मिल गई है.  कई मंत्रियों को एक से ज्यादा जिले दिए गए हैं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने 8 महीने बाद मध्य प्रदेश के सभी जिलों में प्रभारी मंत्री बनाने का ऐलान कर दिया है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने खुद जबलपुर, इंदौर जिले का प्रभार अपने पास रखा है.  मुख्यमंत्री ने उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को जबलपुर और देवास और राजेंद्र शुक्ल को सागर और शहडोल की जिम्मेदारी दी गई है. जैसा कि पहले ही कहा जा रहा था कि सीनियर मंत्रियों को बड़े जिलों की जिम्मेदारी दी जाएगी, ठीक उसी प्रकार से प्रभार वितरित किए गए हैं. कुंवर विजय शाह को रतलाम और झाबुआ, कैलाश विजयवर्गीय को सतना और धार, प्रहलाद सिंह पटेल को भिंड और रीवा,  राकेश सिंह को छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम, करण सिंह वर्मा को मुरैना और सिवानी, उदय प्रताप सिंह को बालाघाट और कटनी की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसी तरह संपतिया उईके को सिंगरौली और अलीराजपुर, तुलसी सिलावट को ग्वालियर और बुरहानपुर, एदल सिंह कंसाना को दतिया और छतरपुर, निर्मला भूरिया को मंदसौर और नीमच, गोविंद सिंह राजपूत को नरसिंहपुर और गुना, विश्वास सारंग को हरदा और खरगोन का जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा नारायण सिंह कुशवाहा को शाजापुर और निवाड़ी, नागर सिंह चौहान को आगर और उमरिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर को शिवपुरी और पांढुरना, चैतन्य कश्यप को भोपाल और राजगढ़, इंदर सिंह परमार को पन्ना और बड़वानी, राकेश शुक्ला को श्योपुर और अशोक नगर, रामनिवास रावत को मंडला और दमोह का प्रभार मिला है.  मध्य प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री कृष्णा गौर को सीहोर और टीकमगढ़, धर्मेंद्र सिंह लोधी को खंडवा, दिलीप जायसवाल को सीधी और गौतम टेटवाल पर मुख्यमंत्री मोहन यादव के गृह जिला उज्जैन का प्रभार दिया गया है. इसी क्रम मेंलखन पटेल को विदिशा और मऊगंज, नारायण सिंह पवार को रायसेन, नरेंद्र पटेल को बैतूल, प्रतिमा बागरी को डिंडौरी, दिलीप अहिरवार को अनूपपुर और राधा सिंह को मेहर का प्रभार दिया गया है

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 MadhyaBharat  13 August 2024

  Imrati Devi

मंत्री इमरती देवी का वीडीओ वायरल   मंत्री इमरती देवी अपने कामों से ज्यादा अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहती हैं | इस बार इमरती देवी ने कहा कि अगर वो चुनाव हार भी गईं तब भी वे मंत्री बनी रहेंगी | अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाली महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है | जिसके बाद सवाल उठने लगा है कि क्या इमरती देवी को हार का डर सता रहा है? डबरा विधानसभा में चुनावी सभा के दौरान इमरती कह रही हैं कि अगर इमरती हार भी जाएगी तो भी मंत्री रहेगी |  इस वीडियो के सामने आने के बाद कांग्रेस ने दावा किया है कि इमरती हार रही हैं | वीडियो  में इमरती देवी ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कह रही है इमरती देवी आप लोगो के लिए हमेशा खड़ी हुई ढाल और तलवार की तरह खड़ी है..इमरती देवी अगर  हार भी गई तो मंत्री बनी रहेगी  | 

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 MadhyaBharat  3 October 2020

 Imrati Devi

सारा पैसा छिंदवाड़ा ले गए कमलनाथ   मंत्री इमरती देवी ने आरोप लगाया कि कमलनाथ मुख्यमंत्री रहते उनकी विकास कार्यों की फाइलें फैंक देते थे और कहते थे पैसा नहीं हैं |  कमलनाथ सारा पैसा छिंदवाड़ा भेज देते थे |  कांग्रेस सरकार को सड़क पर लाकर बीजेपी सरकार में मंत्री बनी इमरती देवी के निशाने पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं | इमरती देवी ने पिछोर के मेहगांव  में अपने कार्यकर्ताओं के बीच कहा कि कमलनाथ  फाइलें फैंक देते थे और कहते थे पैसा नहीं है  | ऐसा करके वो सारा पैसा छिंदवाड़ा भेज देते थे | 

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 MadhyaBharat  30 September 2020

imarti devi

  महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती इमरती देवी ने आज सुबह अंकुर स्कूल स्थित आँगनवाड़ी केन्द्र का आकस्मिक निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी आँगनवाड़ियों में बिजली और पानी की व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करें। अगर कहीं परेशानी आ रही हो, तो वे स्वयं ऊर्जा मंत्री से इस संबंध में चर्चा करेंगी। श्रीमती इमरती देवी ने कहा कि शासन द्वारा बालिकाओं में स्वच्छता की आदत को बढ़ावा देने की योजना को मूर्तरूप दिया जा रहा है। इस योजना में आँगनवाड़ी से सम्बद्ध 12 वर्ष से अधिक उम्र की बच्चियों को दो वर्ष के लिए नि:शुल्क सेनटरी नेपकिन दिया जायेगा। महिला बाल विकास मंत्री ने आँगनवाड़ी में उपस्थित लगभग 82 बच्चों, दस दात्री महिलाओं तथा 6 गर्भवती महिलाओं से सीधा संवाद किया और मंगल दिवस, मातृ वंदना योजना तथा आँगनवाड़ियों में दिये जा रहे भोजन आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त की। श्रीमती इमरती देवी ने बच्चों को चॉकलेट और बिस्कुट भी वितरित किये।

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 MadhyaBharat  18 January 2019

shivraj singh

  मुख्यमंत्री ने दी विद्यार्थियों को नसीहत और शुभकामनाएँ मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने सभी विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षाओं में सफल होने की अग्रिम बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं। श्री चौहान ने कहा कि जीवन का सबसे कीमती समय शुरू हो रहा है। अपने सपनों के साथ नई मंजिलों की ओर बढ़ना है। ऐसे समय न तो घबराने की जरूरत है और न ज्‍यादा तनाव लेने की जरूरत है। आनंद और प्रसन्नता के साथ परीक्षा देने जायें। मुख्यमंत्री ने कहा कि परीक्षाएँ तीन घंटे की होती है। इन तीन घंटों में पाठ्यक्रम आधारित ज्ञान की जाँच हो सकती है लेकिन प्रतिभा की नहीं। हर विद्यार्थी अपने आप में अनूठा है। सबके पास प्रतिभा है। सबके पास असीम क्षमताएँ हैं। कठिन समय में विजय पाने की ऊर्जा है। मुख्यमंत्री ने परीक्षार्थियों को समय का बेहतर से बेहतर प्रबंधन करने और खुद पर भरोसा रखने का मार्गदर्शन दिया। नकारात्मक विचारों से दूर रहने की सलाह देते हुए श्री चौहान ने कहा कि तनाव से ज्ञान और प्रतिभा का प्रदर्शन करने में बाधा आती है। परिणाम की चिंता नहीं करें। सबसे जरूरी बात है कि पूरी ईमानदारी से अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों पर ज्‍यादा जोर नहीं डाले। इससे बच्चे की स्वाभाविक तैयारी पर फर्क पड़ता है। बच्चों को नैतिक संबल दें। बेटा-बेटी अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ हासिल करेंगे। उन्‍हें सिर्फ हौसला दें। उन्‍हें आपका साथ चाहिये। आपकी उम्मीदों पर वे खरा उतरेंगे। उन्होंने शिक्षकों से भी आग्रह किया है कि वे विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाएँ।

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 MadhyaBharat  28 February 2017

shivraj singh

मध्यप्रदेश में 13 साल से भाजपा की सरकार और 11 साल से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैैं।  उनकी टीम में 80 फीसद से ज्यादा मंत्री 10 साल से बने हुये हैैं। राज्य में लगातार तीन बार सरकार बनाने का रिकार्ड कायम किया। जनता में पांव-पांव  वाले भैया के नाम से लोकप्रिय। अलग बात है कि पिछले दिनों जैन संत शिरोमणि विद्यासागर जी महाराज के दर्शनों के लिये पैदल चलने पर उनके पैर में छाले पड़ गये थे। उनकी पार्टी में सत्ता पाने के लिये 13 साल से भटक रहे नेता, कार्यकर्ताओं के पैर में भी छाले पड़े हुये हैैं। इस सबके बीच मुख्यमंत्री और उनकी टीम समस्याएं सुलझाते सुलझाते इस कदर थक गयी हैैं कि उन पर यह पंक्तियां सटीक बैठती हैैं - किस-किस की फिक्र कीजिए और किस किस के लिए रोईये, आराम बड़ी चीज है मुंह ढंक कर सोईये। आमतौर से यह कहावत मुसीबतजदा लोग अपनी बेबसी का इजहार करने के लिये बातचीत में करते हैैं। लेकिन सरकार में बैठे लोग लगातार समस्याएं सुलझाते  सुलझाते एक तरह से थक जाते हैैं क्योंकि सिर्फ चेहरे, नाम और क्षेत्र बदलते हैैं आम तौर से समस्याएं एक जैसी होती हैैं। मसलन बच्चों के लिये नौकरी, बीमार के लिये दवा, राजनीतिक कार्यकर्ता सत्ता और संगठन में पद मांगते हैैं। हर चीज के लेने - देने की सीमा है। इसलिये सियासत में परेशान लोग अब इसी मूड में हैैं कि आराम बड़ी चीज है मुंह ढंककर सोईए।  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पद संभालने के साथ योजनाओं की ऐसी झड़ी लगाई थी कि गरीब, महिला, मजदूर, किसान, कन्याएं एक तरह सब उनके मुरीद हो गये थे लेकिन पिछले कुछ महीनों से कुपोषण, महिलाओं पर अत्याचार, किसानों की आत्महत्या, बदहाल सड़कों और निवेश के लिये दुनिया की खाक छानने के बाद भी नतीजे निराशाजनक आने से सत्ता के सियासी गलियारों में उदासी सी छाई हुई है। इससे अलग पार्टी में मुख्यमंत्री के खिलाफ हमले भी शुरू हो गये हैैं। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बेलगाम नौकरशाही को लेकर विपक्ष से ज्यादा सरकार पर निशाना साधने में लगे हैैं। संगठन महामंत्री रामलाल की नसीहत के बाद भी शिवराज और उनकी सरकार के खिलाफ भाजपा में नाराजगी कम नहीं हो रही है। प्रकाश मीरचंदानी से शुरू हुआ विरोध संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रभारी रहे राजेश भदौरिया ने तो सीबीआई जांच के चलते ठंडे पड़े व्यापमं के मामले में सरकार को जनता से माफी मांगने की मांग कर डाली। अलग बात है कि उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। ग्वालियर में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के चलते विरोध के स्वर उठे तो राष्ट्रीय संगठन महामंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा। मगर वह भी नाकाफी साबित हुआ, क्योंकि उसके दूसरे ही दिन बालाघाट के बैहर में जिला प्रचारक सुरेश यादव के साथ पुलिस द्वारा की गई मारपीट पर दो विधायकों ने मंत्री गौरीशंकर बिसेन को जिम्मेदार मानते हुये इस्तीफा मांग लिया। एक तरह से यह मुख्यमंत्री पर हमला है। इसी तरह पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रकाश सिंह और कुछ विधायकों ने सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया। पार्टी में संतोष और जनता की बेरुखी ने सरकार की चमक फीकी की है। इधर आंकड़ों में म.प्र. में महिला अत्याचार के मामले में नंबर एक पर आना, भ्रष्टाचार में नंबर दो पर आना और कुपोषण में चौथे नंबर पर। कर्ज लेने के लिए पिछले महीने ही चार हजार करोड़ का कर्ज लेने के लिए इक्विटी बेचनी पड़ी। जितना राज्य का बजट है कर्ज का आंकड़ा उसके नजदीक आ गया है।  यह सब शिवराज सिंह की छवि को बिगाड़ता है।  किसान और शिक्षा भी बदहाल दो महीने बाद धान और सोयाबीन बाजार में आने वाले हैैं। तीन साल से घाटे में जा रहे किसान के लिये यह साल निर्णायक है। अच्छे मौसम और जीतोड़  मेहनत ने धान  और सोयाबीन की बंपर फसल आने के संकेत दिये हैैं। लेकिन लागत मूल्य भी नहीं मिला तो किसान फिर आत्महत्या की तरफ जायेगा। एक किसान पुत्र के लिये इससे बड़ा कलंक और क्या हो सकता है। इसी तरह शिक्षा के भी बुरे हाल हैैं। सरकार ने स्कूल चलो अभियान तो चलाया, मगर स्कूलों में पढ़ाओ अभियान अभी तक नहीं चलाया है। इसके चलते नवंबर से विद्यार्थियों में डिप्रेशन आना शुरू हो जायेगा और दिसंबर तक बच्चे क्लास से भागेंगे और तब शासकीय शिक्षक कहेंगे कोर्स पूरा नहीं हुआ, समय बचा नहीं, हम क्या कर सकते हैैं। बहाना यह कि पढाने के अलावा उन्हें और भी कई बेगार करनी पड़ती है लेकिन विद्यार्थियों का तो भविष्य और साल दोनों बर्बाद हो जायेगा। अक्सर दिसंबर में स्कूलों में डिप्रेशन से बचाने के लिये काउंसलिंग और मनोचिकित्सकों की सलाह का दौर चलता है। अभी वक्त  सिलेबस को पूरा करने का, लेकिन विभाग और सरकार दोनों मुंह ढंक कर सो रहे हैैं।  इसलिये तो कहते हैैं जनाब सियासत करना आसां नहीं है। सत्ता की सियासत तो और भी मुश्किल। वैसे भी यह काम हर किसे के बूते को नहीं होता इसके लिये जुनूनी, जिद्दी होना जरुरी है। झूठ को भी इस मासूमियत, नजाकत और नफासत से बोला जाता है कि जो ठगा जाता है उसका दिल भी बार बार ठगाने के लिये होता है। इसमें ठगने और ठगाने वाले दोनों एक-दूजे के लिये बने या एक दूसरो को हराने जिताने में लगे रहते हैैं। मोहब्बत और सियासत करने वालों को डराने में एक नाकामयाब शेर बहुत मशहूर हुआ - यह इश्क नहीं आसां, बस इतना समझ लीजिए, आग का दरिया है और डूब कर जाना है। अभी तो सीन 2003 जैसा है तब मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे और वे दो चुनाव जीत चुके थे। दस साल की सत्ता का अनुभव साथ था। चुनावी प्रबंधन और कार्यकर्ताओं में उनकी पकड़ थी लेकिन खराब सड़कें, गायब बिजली और पानी के संकट ने उन्हें सत्ता से विदा कर दिया था। कमोबेश ऐसे ही हाल अब नजर आने लगे हैैं। पूरे प्रदेश में सड़कें बद से बदतर हैैं, बिजली सरप्लस में होने के बाद भी खेतों के लिये आठ-आठ घंटे ही मिल पा रही है। खुद मुख्यमंत्री के क्षेत्र में यही हाल है। ऐसा लगता है कि दुनिया गोल है और प्रदेश फिर वहीं खड़ा हो रहा है जहां से वह 2003 में चला था।  सत्ता के लिहाज से देखें तो लगातार 13 बरस से भाजपा की सरकार है और 11 साल से शिवराज सिंह मुख्यमंत्री। दोनों ही अपने आप में रिकार्ड हैैं। लगातार तीन चुनाव जीतना और लोकप्रिय बने रहना कठिन काम है। शिवराज पर भाजपा को चौथी बार सत्ता में लाने का भी दबाव आग के दरिया से गुजरने जैसा है। उनकी लोकप्रियता और कार्यकर्ताओं की उनके प्रति दीवनगी के घटते ग्र्राफ की खबरें भाजपा और  सरकार के लिये बेचैनी पैदा करने वाली हैैं।  एक युग 12 साल का होता है और भाजपा तेरह साल से सरकार में है। ऐसे में हजारों कार्यकर्ता और नेता हैैं जो दहाड़े मार-मार कर कह रहे हैैं सत्ता का स्वाद हम कब चखेंगे। उन्हें लगता है चौथी बार सत्ता में नहीं आये तो हमारे इतने बरस की तपस्या गई काम से। पता नहीं फिर कब मौका मिले।  संक्षेप में यह कि जो लगातार लाल बत्ती का सुख उठा रहे हैैं कि वे इतने अफर गये हैैं कि सत्ता से उकताये हुये लगते हैैं मगर कांग्र्रेस के बिना किसी भाजपाई के लिये कुर्सी छोडऩे राजी नहीं। बहुत से चर्चा में कहते हैैं ज्यादा हुआ तो क्या होगा पार्टी चुनाव हार जायेगी और क्या, अगली बार मेहनत कर फिर सत्ता में आयेंगे। बस यही आशंका भाजपा और कांग्र्रेस में अभी से लट्ठ चलवा रही है। सत्ता से दूर भाजपाई सोचते हैैं कि रसमलाई खाने न सही चाटने तो मिले और कांग्र्रेस में नेतृत्व को लेकर संघर्ष वहां ऐसा मानना है जो अभी लीडर वही तो सीएम बनेगा। यह सोच दावेदार और उनके समर्थक अभी से फूले नहीं समा रहे हैैं। क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया, क्या कमलनाथ। विवाद की स्थिति में दिग्विजय सिंह की टीम भी हम भी हैैं ना की तर्ज पर तैयार है। सुरेश  पचौरी इन सेरों के बीच पाव की तरह हैैं जिनके साथ होंगे वही तोलमोल के गणित में सवा सेर हो जायेगा। खैर यह तो भविष्य की बातें हैैं पता नहीं ऊंट किस करवट बैठेगा। बहरहाल पार्टी कोई भी हो नेताओं का काम तो आग के दरिया से गुजरने जैसा है जिसका उन्हें खासा तजुर्बा भी है।

MadhyaBharat

 MadhyaBharat  10 October 2016

ladli lakshmi

दुनिया की अनूठी योजना को साकार होने का अदभुत दृश्य देखकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान भावुक हो गये। उनके द्वारा एक दशक पहले शुरू की गयी लाड़ली लक्ष्मी योजना महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। मुख्यमंत्री मंगलवार को इस योजना से लाभान्वित उन बालिकाओं को छात्रवृत्ति के चेक वितरित कर रहे थे, जिन्होंने कक्षा छठवीं में प्रवेश लिया है।   लाड़ली लक्ष्मी योजना के रूप में अपने द्वारा रोपे गये पौधे को फलते-फूलते देख मुख्यमंत्री  चौहान की खुशी की सीमा न रही। उन्होंने मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कार्यक्रम में इस योजना के नन्हें हितग्राहियों को देखकर कहा कि आज का दिन उनके लिये सबसे ज्यादा खुशी का दिन है। क्योंकि उन्होंने एक दशक पहले जो संकल्प लिया था आज पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि लाड़ली लक्ष्मियों को देखकर मैं गदगद हूँ और मेरा रोम-रोम पुलकित है। मैं जीवनभर माँ, बहिन और बेटियों की भलाई के लिये काम करता रहूँगा।   मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कार्यक्रम में आयी बेटियाँ मुख्यमंत्री से मिलकर प्रफ्फुलित थी। इनमें भोपाल जिले के चाँदबढ़ की लक्ष्मी और ओमप्रकाश की बेटी अंशु, जेपीनगर की फातिमा और वाजिफ खान की बेटी खुशनुमा, सीहोर की रुक्मणी और नरेश परमार की बेटी खुशी, विदिशा के गोमती उदय की बेटी नंदनी, राजगढ़ के सीमा-कृष्णमोहन की बेटी ज्योति तथा रायसेन मंडीदीप के चंदा अनिल राव की बेटी तनुजा की खुशी देखते ही बनती थी। इनमें कई बेटियों ने मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी ली। मुख्यमंत्री ने उनके सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया। इस दौरान मामा भांजियाँ बेहद प्रसन्न थे।   इस मौके पर इन बेटियों के माता-पिता ने भी अपनी खुशी का इजहार किया। वे मुख्यमंत्री निवास में लाड़ली शिक्षा पर्व में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चौहान के निमंत्रण पर अपनी बेटी के साथ शामिल हुए। उन्होंने अपनी बेटी को उनके मामा मुख्यमंत्री श्री चौहान से मिलाकर खुशी जाहिर की। लाड़लियों के माता-पिता ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया कि उन्होंने बेटियों के प्रति समाज में सकारात्मक वातावरण बनाने के पुख्ता इंतजाम किये हैं। कभी बेटियों को बोझ समझने वाला समाज और लोग अब उन्हें वरदान समझने लगे हैं। समुदाय की सोच बदलने में लाड़ली लक्ष्मी योजना की महती भूमिका है।    एक दशक पहले शुरू की गई  यह योजना न केवल देश में बल्कि दुनिया की अनूठी योजना है। इसकी सफलता देखकर इसे कई प्रदेश ने अपनाया है। इसके अंतर्गत गैर आयकर दाता उन परिवारों की बेटियों को लाभ मिलता है जिनकी दो संतानें हैं। उन्हें राज्य शासन ने बचत पत्र उपलब्ध करवायें। इस योजना से अभी तक 23 लाख बेटियाँ लाभांवित हो चुकी हैं, जिनके बचत खातों में 9600 करोड़ रुपये जमा करवाये गये हैं। इन्हें 21 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर 27,640 करोड़ रुपये की विशाल राशि मिलेगी।   इसके पहले इन बालिकाओं के कक्षा छठवीं में प्रवेश पर 2000 रुपये नौवीं में प्रवेश पर 4000 रुपये तथा कक्षा 11वीं और बारहवीं में 6-6 हजार रुपये छात्रवृत्ति के रूप में मुहैया करवाये जायेंगे। साथ ही अठारह वर्ष बाद शादी करने पर 21 वर्ष की उम्र में एक लाख से ज्यादा रुपये मिलेंगे। कक्षा छठवीं में प्रवेश लेने वाली 17 हजार लाड़ली लक्ष्मियों को इस वर्ष छात्रवृत्ति के रूप में 2-2 हजार रुपये मिलेंगे।   इस योजना से लाभान्वित 23 लाख से ज्यादा परिवार इस बात से बेहद खुश है कि उनके घर बेटी ने जन्म लिया है। वे अपने को बहुत खुशनसीब मान रहे हैं कि बेटी के माँ-बाप है। वे बेटी की शिक्षा-दीक्षा और विवाह के लिये पूरी तरह निश्चिंत हो गये हैं।   इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपना स्वागत नहीं कराकर मुख्यमंत्री निवास आयी बेटियों का स्वागत किया और उन्हें मंच पर अपने साथ बैठाया। मुख्यमंत्री ने महिला-बाल विकास विभाग की 'पंचवटी'' प्रदर्शनी का अवलोकन कर पौष्टिक आहार का भी स्वाद लिया।  

MadhyaBharat

 MadhyaBharat  2 August 2016

निराश्रित बालिकाओं के उत्थान की पहल सराहनीय

मुख्यमंत्री चौहान जबलपुर के इन्द्रधनुष कार्यक्रम मेंमुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जबलपुर जिले में निराश्रित बालिकाओं के उत्थान के लिए की जा रही पहल सराहनीय है। इस पहल से बेटियों के हित में किए जा रहे शासन के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कड़ी जुड़ेगी। श्री चौहान आज जबलपुर में 'इन्द्रधनुष-आओ रंग बिखेरें'' कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वे प्रतिपालक बधाई के पात्र हैं, जो निराश्रित अथवा जीविकोपार्जन के लिए श्रम करने को बाध्य बालिकाओं की जिम्मेदारी लेने आगे आये हैं।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बेटियों को आगे बढ़ाने के कार्य को सरकार और समाज मिलकर ही प्रभावी ढंग से अंजाम दे सकते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इन्द्रधनुष कार्यक्रम में आगे आये प्रतिपालकों से प्रेरणा पाकर अन्य लोग भी इस भूमिका को अंगीकार करेंगे, जिसके चलते परिदृश्य में निश्चय ही सुखद बदलाव होगा।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने समाज में बेटियों की स्थिति बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बेटियों को बचाना, उन्हें आगे बढ़ाना और पढ़ाना बेहद जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियों के उत्थान के लिए सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी, गाँव की बेटी तथा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना जैसी तमाम योजनाएँ आरंभ की हैं। उन्होंने कहा कि केवल लाड़ली लक्ष्मी योजना में ही 18 लाख से ज्यादा बेटियों को लाभान्वित किया गया है।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इन्द्रधनुष कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि संस्कारधानी जबलपुर ने निराश्रित बालिकाओं के उत्थान के लिए पहल की है और निश्चय ही इस दिशा में जबलपुर प्रदेश का नेतृत्व कर सकता है। श्री चौहान ने कार्यक्रम के आरंभ में 33 निराश्रित बालिकाओं की जिम्मेदारी लेने आगे आए 11 प्रतिपालकों से भेंट की। मुख्यमंत्री को बाल भवन के बाल कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग शक्तिरूपा भेंट की गई।मुख्यमंत्री ने इस अभिनव पहल के लिए आई.जी. (महिला अपराध) श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव की भी प्रशंसा की। श्रीमती श्रीवास्तव ने कहा कि शासन की जन-हितैषी योजनाओं का लाभ निराश्रित, अनाथ, अशिक्षित तथा जीविका के लिए श्रम करने को बाध्य बालिकाओं तक पहुँचाने में इन्द्रधनुष कार्यक्रम एक सेतु का काम करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कार्यक्रम नागरिकों की सोच में बेटियों के प्रति सकारात्मक बदलाव का वाहक बन सकेगा।

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