
अनूपपुर/अमरकंटक । शनिचरी अमावस्या पर जिले की प्रमुख नदियों के घाटों और तटों पर शनिवार को श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का खास महत्व है। शनिचरी अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है और मान्यता है कि इस दिन नदियों के तटों या घाटों पर विशेष पूजा-अर्चना करने पर बुरी आत्माओं से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि देर रात से ही श्रद्धालुओं का नदियों के घाटों और तटों पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। इसके साथ ही सुबह से ही पूजा-पाठ के साथ नदियों में स्नान भीड़ रहीं। जिले की प्रमुख नदियों नर्मदा, सोन, जुहिला, जिपान,चंदास केवई सहित लोगो ने पवित्र सरोवरो में आस्था की डुबकी लगाई। जिला मुख्याोलय अनूपपुर में शनि अमावस्या के पर सोन, तिपान, चंदास सहित तलाबों में आस्था की डुबकी लगा भगवान शनि देव महाराज की प्रतिमा पर जल, पुष्प, तेल,काला तिल,काला उड़द ,वस्त्र आदि चढ़ाकर पूजन आरती कर सुख समृद्धि की कामना की। पवित्र नगरी अमरकंटक में चैत्र मास की अमावस्या पर दूर-दूर से आए भक्त श्रद्धालुओं तीर्थ यात्रियों ने पुण्य सलिला मां नर्मदा के पावन तट रामघाट पुष्कर बांध एवं आरंडी संगम तट में आस्था की डुबकी लगाई। दर्शन पूजा कर श्रद्धालुओं ने शनि अमावस्या के पर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाया एवं भगवान शनि देव महाराज की प्रतिमा पर जल चढ़ाया पुष्प चढ़ाए तेल चढ़ा काला तिल,काला उड़द , वस्त्र आदि चढ़ाकर पूरे मनोयोग से धार्मिक भावना के साथ पूजन आरती अभिषेक किया। इस दौरान गलतियों के लिए क्षमा याचना कर सुख समृद्धि की कामना की। सुबह से ही श्रद्धालुओं ने नर्मदा में डुबकी लगाने क्रम शुरू हो गया था जो शायं कल तक निरंतर चलता जारी हैं। उल्लेखनीय है कि चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या श्राद्ध अमावस्या के पावन अवसर पर भक्त श्रद्धालु गण अपने मृतक प्राणियों का पूरे विधि विधान के साथ पिंडदान तर्पण तथा भगवान विष्णु के प्रतीक पीपल वृक्ष को जल स्नान तथा कलश में जल दान पूजन अर्चन हवन आदि कर गरीबो को यथाशक्ति अनुसार अन्न दान व धन का दान किया। जिससे मृतक प्राणी को सद्गति मोक्ष गति को प्राप्त हो सकें। शनि अमावस्या के शुभ अवसर पर पूजन अर्चन दर्शन का विशेष महत्व माना एवं बताया गया है । इस अवसर पर लगभग 12 -15 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र नर्मदा में डुबकी लगा, मॉ नर्मदा मंदिर में दर्शन कर पूजन अर्चन किया।
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